माचा एक ऐसा ड्रिंक है जो जापानी लोगों के लिए सदियों से एक सुपर फूड के रूप में जाना जाता है। यह सिर्फ चाय तक सीमित नहीं है, बल्कि माचा का उपयोग आज माचा आइसक्रीम, केक, लेटे, चॉकलेट, नूडल्स और यहां तक कि फेस मास्क में भी किया जाता है। युवाओं के बीच यह ड्रिंक तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और एक बेहतरीन एनर्जी बूस्टर के रूप में उभर रहा है।

माचा एक खास प्रकार का पाउडर है, जिसे विशेष रूप से उगाई और प्रोसेस की गई ग्रीन टी की पत्तियों से तैयार किया जाता है। यह जापानी संस्कृति में सदियों से एक विशेष स्थान रखता है। सामान्य ग्रीन टी के विपरीत, माचा में पूरी चाय पत्ती का इस्तेमाल होता है, जिससे इसमें कैफीन और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है, और इसका असर ज्यादा केंद्रित और प्रभावशाली होता है।

कार्डियोलॉजिस्ट और कंटेंट क्रिएटर डॉ. आलोक चोपड़ा ने इंस्टाग्राम पर माचा की जमकर तारीफ की। एक्सपर्ट ने बताया माचा को अपनी डेली लाइफ में शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। इसका सेवन करने से दिमाग शांत और एकाग्रता बढ़ती है। माचा का सेवन करने से तेजी से फैट बर्न होता है और बॉडी डिटॉक्स होती है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर ये पत्तियां मूड को बेहतर बनाती हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कैसे ये चाय सेहत पर अमृत की तरह असर करती है।

माचा कैसे सेहत के लिए अमृत है?

माचा एक ऐसा हर्बल पाउडर है जिसमें एल-थीनिन मौजूद होता है जो बिना थकावट के सतर्कता को बनाए रखता है। इसका सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और कोशिकीय ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। इसमें मौजूद क्लोरोफिल बॉडी से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है। ये चाय कैफीन + एल-थीनिन का कॉम्बिनेशन है जो स्ट्रेस फ्री एनर्जी देती है। एक्सपर्ट ने बताया इसमें सामान्य ग्रीन टी की तुलना में 137 गुना अधिक EGCG होता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है।

माचा पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है?

PSRI हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राज कुमार बताते हैं कि इन सभी फायदों के पीछे कुछ न कुछ वैज्ञानिक आधार है। इस चाय में एल-थीनिन मौजूद होता है जो एकाग्रता को बढ़ाता है, बिना नींद लाए दिमाग को रिलैक्स करता है। ये अल्फा ब्रेन वेव्स को बढ़ाता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि ये चाय तनाव को कम करती है और अलर्टनेस को बढ़ाती है।

ये बेहतरीन फैट बर्नर है जिसका संबंध EGCG (epigallocatechin gallate) से है, जो मेटाबॉलिज्म और फैट ऑक्सीडेशन को थोड़ा बढ़ा सकता है, खासकर एक्सरसाइज के साथ। इसमें मौजूद क्लोरोफिल टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इस चाय में एल-थेनाइन और कैफीन का बेस्ट तालमेल है जो मूड बेहतर बनाता है। ये ड्रिंक थकान को दूर करता है। माचा कैटेचिन से भरपूर होता है जो शरीर का हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाव करता है।

क्या माचा, ग्रीन टी से ज्यादा असरदार है?

डॉ. कुमार बताते हैं माचा में EGCG ग्रीन टी से 137 गुना अधिक होता है,जो कि लैब टेस्ट्स में पाया गया है। इसका मतलब है कि एक कप माचा पांच कप ग्रीन टी के बराबर फायदा पहुंचा सकता है। अगर कोई इंसान अधिक एंटीऑक्सीडेंट या मेटाबोलिक सपोर्ट चाहता है तो माचा बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन इसमें कैफीन भी अधिक होता है, इसलिए मॉडरेशन में सेवन करना ज़रूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जो कैफीन के प्रति संवेदनशील हैं। माचा में मौजूद एल-थेनाइन, GABA, सेरोटोनिन और डोपामाइन को बढ़ाकर दिमाग को शांत करता है।

दिमाग पर Slow Poison की तरह असर करते हैं ये 4 फूड, कमजोर पड़ सकता है ब्रेन, बढ़ सकता है भूलने की बीमारी का खतरा। ब्रेन पर ये फूड कैसे असर करते हैं इसकी पूरी जानकारी हासिल करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।