उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में लंपी वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गाय के दूध और उत्पादन पर भी इसका सीधा असर दिखाई दे रहा है। लंपी वायरस राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में मवेशियों में फैल गया है। लंपी वायरस रोग डेयरी व्यवसाय के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बनकर उभरा है। विशेषकर गाय-भैंसों में लंपी रोग फैल रहा है। इससे वे किसान बुरी तरह प्रभावित हैं, जिनका कारोबार पूरी तरह मवेशियों पर निर्भर है। गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इस बीमारी से हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है।
लंपी वायरस का संक्रमण गाय के लिए जानलेवा है। इसके साथ ही इसका असर गाय के दूध और गोमूत्र और गोबर पर देखने को मिलता है। इस संबंध में राजस्थान के करौली डिस्ट्रिक्ट के सीनियर वैटनरी ऑफिसर मुकेश चंद्र मीणा ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि लंपी वायरस का असर गाय के दूध में अभी तक देखने को नहीं मिला है। लेकिन इसके बावजूद सावधानियां रखने की जरूरत हैं।
डॉक्टर मीणा के मुताबिक दूध देने वाली गायों में अधिक संक्रमण देखने को नहीं मिल रहा है। गौशाला में रहने वाली गायों में ऐसे मामले देखने ज्यादा मिल रहे हैं, क्योंकि उन्हें हरी घास या चारा खाने को कम मिलता है। जिन जानवरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उनमें लंपी वायरस के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं।
ज्यादा देर तक उबालें दूध
डॉक्टर मुकेश के मुताबिक गाय के दूध में मौजूद वायरस को भी खत्म किया जा सकता है। इसके लिए दूध को ज्यादा देर तक उबालना पड़ता है क्योंकि यह वायरस को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। इसमें मनुष्यों के लिए कोई हानिकारक पदार्थ नहीं होता है। लेकिन अगर इस दूध का सेवन गाय के बछड़े द्वारा किया जाए तो यह उसके लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में मवेशियों के बछड़े को अलग कर देना चाहिए।
वहीं अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लंपी वायरस मवेशियों के गर्भाशय को भी प्रभावित करता है। दूसरी ओर, लंपी वायरस, हालांकि गाय की मृत्यु दर कम है, यह सीधे उसके दूध उत्पादन और गर्भाशय को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह रोग दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, जिसमें 50 प्रतिशत की कमी आती है। यह सीधे दूध उत्पादन और मवेशियों के गर्भाशय को प्रभावित करता है, जिससे गाय का गर्भ भी समाप्त हो जाता है।
संक्रमित गाय का लार और खून साथ के अन्य पशुओं को बीमार कर सकता है। वहीं दूसरी ओर लोगों के मन में यह सवाल है कि लंपी वायरस से पीड़ित जानवरों के गोमूत्र और गोबर में वायरस के घटक नहीं पाए जाते हैं। विशेषज्ञों की राय है कि इंसानों पर इस वायरस का कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
लंपी वायरस इंसानों के लिए खतरा नहीं
डॉक्टर मीणा के मुताबिक लंपी वायरस से इंसानों को कोई खतरा नहीं है, यह जानवर से जानवर में फैलता है। ऐसे में यह जानवरों की लार और मच्छर के काटने से फैलता है। विशेषज्ञों की राय है कि नीम या हल्दी और घी का लेप लगाने से जानवरों के घाव ठीक हो सकते हैं और इस बीमारी से पीड़ित मवेशी 1 सप्ताह से 10 दिनों में ठीक हो सकते हैं, लेकिन इससे छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण है। जिससे इसके संक्रमण को तेजी से रोका जा सकता है।
