Liver Cancer Symptom: आजकल खराब लाइफस्टाइल और खानपान के चलते कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, जिसमें लिवर कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो तेजी बढ़ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में लगभग 38 हजार से अधिक लिवर कैंसर के मरीज हैं, जो लगातार बढ़ रहे हैं। आईसीएमआर के अनुसार, अगर इस बीमारी का पता एडवांस स्टेज में चल जाए और समय रहते इलाज करवाया जाए तो इस बीमारी से जान बचाई जा सकती है। हालांकि, लिवर कैंसर की समस्या होने से पहले ही शरीर पर लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जिसमें गहरे रंग का टॉयलेट शुरुआती लक्षण है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, टॉयलेट का रंग खराब होना कई बीमारियों का शुरुआती लक्षण है। पीलिया, भूख न लगना और बिना किसी कारण के वजन कम होना जैसे अन्य लक्षणों के साथ गहरे रंग का टॉयलेट भी लिवर कैंसर का लक्षण हो सकता है।
लिवर कैंसर के लक्षण
- बहुत ज्यादा थकान होना
- वजन का कम होना
- पीलिया होना
- लिवर की परेशानियां जैसे पेट में पानी होना
मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम में चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ट्रांसप्लांटेशन एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन में डॉक्टर ए.एस.सोइन के मुताबिक, लिवर कैंसर की समस्या एक दम अचानक नहीं होती है। उन्होंने बताया कि लिवर कैंसर होने से पहले लिवर से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। लिवर कैंसर होने से पहले लिवर पर फैट जमा हो सकता है, ये फैट अल्कोहल और नॉन अल्कोहलिक हो सकता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी और सी की वजह से भी लिवर कैंसर हो सकता है।
इन समस्याओं के कारण भी बदल सकता है पेशाब का रंग
पीलिया होने पर त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ने लगता है। यह पित्त नली में रुकावट या लिवर की क्षति के कारण हो सकता है। पीलिया से पीड़ित लोगों को गहरे रंग का मूत्र और हल्का मल भी हो सकता है। ऐसे में खुजली या बीमार भी महसूस हो सकता है।
हालांकि, कुछ दवाएं आपके टॉयलेट का रंग बदल सकती हैं। जैसे सिमेटिडाइन (टैगामेट एचबी), जिसका उपयोग अल्सर, एसिड रिफ्लक्स के इलाज के लिए किया जाता है जिससे टॉयलेट के रंग में बदलाव होता है। ट्रायमटेरिन (डायरेनियम) एक पानी की गोली है और इंडोमिथेसिन (इंडोसिन, टिवोरबेक्स) एक दर्द, गठिया की दवा है। इससे भी टॉयलेट का रंग बदल सकता है।
इसके अलावा सर्जरी से पहले लोगों को आराम दिलाने में मदद करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा प्रोपोफोल (डिप्रिवन) के बारे में कहा जाता है कि इसके कारण पेशाब का रंग बदल जाता है। ऐसे ही सेन्ना, फेनाजोपाइरीडीन और जुलाब आदि के कारण भी पेशाब का रंग बदल जाता है।
भारत में एक स्टडी के मुताबिक, लगभग 93 प्रतिशत भारतीय नींद की कमी से परेशान हैं। ऐसे में स्लीप डिसऑर्डर की समस्या का सीधा असर दिल और दिमाग पर पड़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।