शरीर में कहीं भी गांठ महसूस होते ही सबसे पहला डर अक्सर कैंसर को लेकर होता है। लेकिन मेडिकल और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर गांठ का मतलब कैंसर नहीं होता। कई गांठें फैट, हार्मोनल बदलाव या मेटाबॉलिज्म गड़बड़ होने की वजह से बनती हैं, जो समय के साथ अपने आप खत्म भी हो सकती हैं। हालांकि कुछ गांठ दर्दनाक होती हैं और धीरे-धीरे आकार में बढ़ने लगती हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। आयुर्वेद में ऐसी गांठों को आमतौर पर लिपोमा या ग्रंथि विकार से जोड़ा जाता है। समय रहते सही उपचार न किया जाए, तो ये समस्या आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है। अब सवाल ये उठता है कि शरीर में गांठ क्यों बनती हैं?
शरीर में गांठ क्यों बनती है?
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों के अनुसार शरीर में गांठ बनने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे मेटाबॉलिज्म का धीमा होना, शरीर में फैट का असंतुलित जमाव, हार्मोनल गड़बड़ी, थायरॉइड की समस्या, लंबे समय तक सूजन या इंफेक्शन होना, पाचन तंत्र कमजोर होना, कम मेटाबॉलिज्म की वजह से फैट शरीर के कुछ हिस्सों में जमा होकर गांठ का रूप ले सकता है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक शरीर में गांठ बनना कैंसर नहीं होता। बॉडी में होने वाली हर तरह की गांठ को आयुर्वेदिक औषधि कांचनार गुग्गुल का सेवन करके डिजॉल्व किया जा सकता है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, कांचनार गुग्गुल आयुर्वेद की एक प्रभावशाली औषधि है, जिसका इस्तेमाल शरीर में बनने वाली गांठों को कम करने के लिए किया जाता है। यह दवा खासतौर पर लिपोमा, गांठदार सूजन, थायरॉइड ग्रंथि की समस्या, ग्रंथियों में सूजन जैसी स्थितियों में लाभकारी मानी जाती है।
कांचनार गुग्गुल शरीर के मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने और जमा फैट को धीरे-धीरे कम करने में मदद करती है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार कांचनार गुग्गुल के साथ कुछ दूसरी आयुर्वेदिक औषधियां जैसे वृद्धिवाधिका वटी और पुनर्नवादि मंडूर भी इन गांठों का इलाज करने में असरदार साबित होता है। इन दवाओं का सेवन शरीर की सूजन को कम करने और गांठ के आकार को घटाने में सहायक माना जाता है। आपको बता दें कि इन दवाओं का सेवन वैद्य की सलाह से ही करें।
कांचनार गुग्गुल हर्ब सभी तरह की गांठ का इलाज करता है रिसर्च ने भी माना।
कांचनार गुग्गुल (Kanchanar Guggulu) आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध औषधि है, जिसका उपयोग विशेष रूप से लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes), लिपोमा (Lipoma) और ट्यूमर जैसी गांठों के इलाज में किया जाता है। आधुनिक विज्ञान और क्लिनिकल रिसर्च भी अब इसके एंटी-ट्यूमर और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों को स्वीकार कर रहे हैं। journal of Ethnopharmacology और कई भारतीय आयुर्वेद संस्थानों जैसे ITRA में हुए अध्ययनों के अनुसार, कांचनार (Bauhinia variegata) की छाल में ‘फ्लेवोनोइड्स’ और ‘लेप्टिन’ जैसे यौगिक होते हैं। ये यौगिक असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि को रोकते हैं। यह रिसर्च बताती है कि यह औषधि गांठ बनाने वाली कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है और उन्हें धीरे-धीरे सिकोड़ देती है। गुग्गुलु का काम शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है। यह ग्रंथियों में आई सूजन को कम करता है और रुके हुए फ्लुइड को साफ करता है, जिससे गर्दन, बगल या जांघों में होने वाली गांठें कम होने लगती हैं।
कांचनार गुग्गुल का सेवन करने से सेहत को फायदे
इस औषधि का सेवन करने से पेट और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है। कांचनार की छाल और कलियां पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी मदद करती हैं। इस हर्ब का सेवन करने से कब्ज से राहत मिलती है, पेट फूलने और गैस की समस्या में कमी आती है। ये दवा पाचन रस को संतुलित करती है। कांचनार की कलियों से बनी सब्जी या इसका काढ़ा पेट के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। ये औषधि थायरॉइड मरीजों के लिए असरदार मानी जाती है। आयुर्वेद में कांचनार को थायरॉइड संतुलन के लिए एक अहम औषधि माना गया है। इसके नियमित और सीमित सेवन से थायरॉइड हार्मोन बैलेंस रहता है। इसका सेवन करने से गर्दन की सूजन और गांठ में कमी आ सकती है।
निष्कर्ष
शरीर में गांठ होना हमेशा कैंसर का संकेत नहीं होता, लेकिन इसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं है। आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल जैसी औषधियां गांठ, सूजन और थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं में मदद कर सकती हैं। सही समय पर इलाज और एक्सपर्ट की सलाह से गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।
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