डॉ. संजय गोगोई
पुरुष आम तौर से अपने शरीर के मुकाबले अपनी कार, फोन एवं अपने गैजेट का ज्यादा ध्यान रखते हैं। जागरूकता की कमी और स्वास्थ्य के बारे में अपर्याप्त शिक्षा व काम व जीवन के बीच खराब संतुलन से पूरी दुनिया में पुरुषों की सेहत में तेजी से गिरावट आई है। 50 साल से अधिक आयु के पुरुषों को सेहत की अनेक समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं, जिनमें से स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (एसयूआई) एक कम चर्चित समस्या है।
अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के मुताबिक, 3 से 5 प्रतिशत पुरुष और 11 से 34 प्रतिशत बुजुर्ग पुरुष एसयूआई से प्रभावित होते हैं। हालांकि, इस समस्या के बारे में जागरूकता की कमी के कारण मरीजों के जीवन पर बहुत गहरा असर हो सकता है, जिसकी वजह से अवसाद एवं जीने की इच्छा में कमी हो सकती है।
पुरुषों में स्ट्रेस इनकॉन्टिनेंस बहुत कम पाया जाता है, लेकिन यह व्यक्ति के सामाजिक और व्यवसायिक जीवन पर बुरा असर डालता है। सामान्य रूप से यह एक आयट्रोजेनिक स्थिति है। भविष्य में इसके मामले बढ़ने की संभावना है क्योंकि पूरी दुनिया की आबादी में प्रोस्टेट सर्जरी की संख्या बढ़ रही है।
लक्षण
एसयूआई के सबसे आम लक्षणों में से एक पेट पर दबाव डालने वाली कोई भी गतिविधि करने पर पेशाब का लीक हो जाना है। सामान्य गतिविधियों, जैसे करवट बदलने, उठने-बैठने, पैदल चलने, खांसने आदि पर भी पेशाब लीक हो जाती है।
लीक होने वाली पेशाब की मात्रा कुछ बूंदों से लेकर काफी ज्यादा हो सकती है। एसयूआई से व्यक्ति की दैनिक और सामाजिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। इससे व्यक्ति के आपसी संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। अक्सर लोग इस समस्या को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते हैं और खुद को समाज से अलग-थलग कर लेते हैं।
कारण
पुरुषों में एसयूआई का मुख्य कारण कमजोर या क्षतिग्रस्त यूरेथ्रल स्फिंक्टर है। प्रोस्टेट बढ़ने की सामान्य सर्जरी जैसे टीयूआरपी, लेज़र प्रोस्टेटेक्टोमी से सर्जिकल मॉर्बिडिटी में कमी आई है। हालांकि, 6 महीने से ज्यादा समय तक रहने वाला पोस्ट ऑपरेटिव एसयूआई 0.5 प्रतिशत से 0.4 प्रतिशत मामलों में देखने को मिलता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लिए सर्जिकल प्रक्रियाएं, जैसे ओपन रेडिकल प्रोस्टेटेक्टोमी और रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टोमी ब्लैडर नेक को क्षति पहुंचा सकती हैं, और यूरेथ्रल हाईपरमोबिलिटी कर सकती हैं। एसयूआई लगभग 7 से 10 प्रतिशत मामलों में होता है। इसके अन्य कारणों में पेल्विक ट्रॉमा है, जिससे पेल्विक सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है।
उपचार
इन लक्षणों व संकेतों को देखकर पहचानने के बाद एसयूआई के इलाज व प्रबंधन के लिए डॉक्टर से परामर्श लिया जा सकता है। व्यक्ति की मेडिकल स्थिति के आधार पर, डॉक्टर मरीज के लिए इलाज के सर्वश्रेष्ठ विकल्प का परामर्श देता है।
कई मामलों में एसयूआई लीक को रोकने के लिए एक पेनाईल क्लैंप या क्लिप डिवाईस का इस्तेमाल किया जाता है। बाहर से लगने वाले ये क्लैंप पेनिस से मूत्र के बहाव को रोकते हैं। हालांकि इनके द्वारा अनेक असुविधाएं व समस्याएं होती हैं।
कुछ मरीजों को एसयूआई की रोकथाम के लिए सर्जरी का परामर्श दिया जा सकता है। पुरुष एसयूआई के लिए सबसे प्रभावशाली इलाजों में से एक कृत्रिम यूरिनरी स्फिंक्टर का लगाया जाना है। इस डिवाईस के तीन हिस्से होते हैं:
- फ्लुड से भरा हुआ कफ, जो यूरेथ्रा (शरीर से मूत्र बाहर निकालने के लिए ब्लैडर से जाने वाली मूत्रनली) के चारों ओर लगा दिया जाता है।
- फ्लुड से भरा हुआ, दबाव नियंत्रित करने वाला बैलून, जो पेट में लगाया जाता है।
- स्क्रोटम में एक पंप लगाया जाता है और इससे डिवाईस को नियंत्रित किया जाता है।
इस डिवाइस में फ्लुड भरा होता है, जो यूरेथ्रा को बंद रखता है और लीकेज को रोकता है। जब मरीज पंप को दबाता है, तो कफ में मौजूद फ्लुड बैलून के अंदर पहुंच जाता है और यूरेथ्रा खुल जाता है, जिससे व्यक्ति पेशाब कर पाता है। कृत्रिम स्फिंक्टर सर्जरी एसयूआई से पीड़ित अधिकांश पुरुषों को पेशाब को नियंत्रित करने में मदद करती है।
दूसरा सर्जिकल विकल्प मेल स्लिंग कहलाता है, जो यूरेथ्रा को पुनः व्यवस्थित कर मूत्र के हल्के से मध्यम असंयम को नियंत्रित करने में मदद करता है। मूत्र के असंयम के इलाज से जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है। जीवनशैली में सुधार के साथ सर्जिकल उपचार काफी प्रभावशाली होते हैं। इस समस्या से जुड़े कलंक और मरीजों की संख्या बहुत कम होने के कारण मूत्र के असंयम के बारे में इस जागरुकता का बढ़ाया जाना जरूरी है कि इस विकास के लगभग सभी मामलों में इलाज संभव है।
(लेखक मणिपाल हॉस्पिटल्स, द्वारका, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टैंट एवं हेड, यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट हैं)