डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीजों की तादाद देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। भारत दूसरा बड़ा देश है जहां डायबिटीज के मरीजों की सबसे बड़ी आबादी है। कोरोनाकाल में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में ज्यादा इज़ाफ़ा हुआ है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत में पहली बार टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) मैनेजमेंट के लिए गाइडलाइन्स जारी की है।
ICMR के मुताबिक दुनिया में दस लाख से ज्यादा बच्चों को टाइप-1 डायबिटीज है। भारत में टाइप-1 डायबिटीज के सबसे ज्यादा मामले हैं। ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन दशकों में भारत में टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों की संख्या में 150 फीसदी बढ़ेतरी हुई है।
बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का कारण: बच्चे तेजी से टाइप-1 डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। टाइप-1 डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता। इंसुलिन हार्मोन ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल करता है। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी होने का कारण अभी तक पता नहीं चला है लेकिन अनुवांशिकता और पर्यावरण को इस बीमारी का कारण माना जाता है।
टाइप-1 डायबीटीज के शिकार बच्चों के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से उनकी बॉडी में कई तरह की बीमारियों जैसे दिल के रोग, आंखों की परेशानी, किडनी की परेशानी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो अपनी डाइट का ध्यान रखें। डाइट में ऐसे फूड को शामिल करें जो ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल करें।
बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण: बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर आपके बच्चे को तेजी से भूख लगती है, तेजी से प्यास लगती है। बच्चा बार-बार यूरिन डिस्चार्ज करता है तो इस परेशानी को नजरअंदाज नहीं करें। बच्चे में ये लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाएं आपका बच्चा टाइप-1 डायबिटीज का शिकार हो सकता है।
टाइप-1 डायबिटीज से कैसे करें बचाव:
- कोरोनाकाल में बच्चों की बॉडी एक्टिविटी में कमी आई है। स्कूल बंद रहने से बच्चों के खेल कूद में कमी आई है जिससे कुछ बच्चे टाइप-1 डायबिटीज का शिकार हो गए। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों के ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल करने के लिए उन्हें एक्सरसाइज कराएं।
- बच्चों को बताएं कि कैसे उनके ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल रहेगा। शुगर कंट्रोल करने वाली डाइट का सेवन करने को कहें।
- बच्चों की डाइट में फाइबर से भरपूर फूड को शामिल करें।
- बच्चे को खेल कूद और फिजिकल एक्टिविटीज में भाग लेने के लिए कहें।
- नियमित अंतराल पर डॉक्टर से मिले और शुगर की जांच कराएं।