डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्लड में शुगर का स्तर नॉर्मल रहना जरूरी है। डायबिटीज के मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर ना तो कम होना चाहिए और ना ही ज्यादा होना चाहिए। डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है। पैंक्रियाज या तो इंसुलिन का उत्पादन करना कम कर देता है या फिर इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है।

इंसुलिन के कम उत्पादन होने से खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवाईयों का सेवन करना, तनाव से दूर रहना और डाइट को कंट्रोल करना जरूरी है। डाइट में कुछ हेल्दी फूड्स भी शुगर को कम करने में असरदार साबित होते हैं।

देश और दुनिया में डायबिटीज के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। भारत को डायबिटीज का हब कहा जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में लगभग चार करोड़ लोग डाइबिटीज के शिकार हैं और माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक ये आंकड़ा आठ करोड़ को पार कर सकता है। खराब लाइफस्टाइल और बिगड़ने खान-पान की वजह से पनपने वाली इस बीमारी की वजह से दिल और किडनी को खतरा पहुंच सकता है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के जून 2022 के आंकड़ों के अनुसार डायबिटीज के मरीजों में लगातार इज़ाफा हो रहा है। भारत में युवा डायबिटीज रोगियों की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। एक्सपर्ट के मुताबिक खान-पान की आदतों का ध्यान रखना और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है।

डाइटिशियन गरिमा गोयल बताती हैं कि समय पर इलाज के लिए डायबिटीज के ‘क्लासिक लक्षणों’ को समझना भी जरूरी है। विशेषज्ञ ने इंस्टाग्राम पर डायबिटीज के क्लासिक लक्षण बताए हैं। यदि आपके शरीर में भी कोई लक्षण दिखा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। आइए जानते हैं कि डायबिटीज के क्लासिक लक्षण कौन-कौन से हैं।

प्यास का बढ़ना :

डायबिटीज के मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर हाई होने से सबसे ज्यादा प्याज लगती है।

बार-बार पेशाब आना:

डायबिटीज में शरीर अतिरिक्त ग्लूकोज को पेशाब के जरिए बॉडी से बाहर निकालने लगता है। इसी वजह से डायबिटीज के मरीजों को बार-बार पेशाब आता रहता है।

तेजी से वजन का कम होना:

बॉडी से फ्लूड यूरिन के जरिए बॉडी से बाहर निकलने लगते हैं। शरीर वसा को फैटी एसिड में परिवर्तित करता है जिससे असामान्य वजन कम होने लगता है।

घाव भरने में देरी:

बढ़ा हुआ ग्लूकोज घाव की ओर परिसंचरण को कम करता है, इसलिए घाव भरने में समय लगता है।

थकान बढ़ती है:

ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता जिसके कारण पर्याप्त ऊर्जा की कमी हो जाती है और इस प्रकार इंसान को थकान महसूस होती है।

भूख में बढ़ोतरी होती है:

बॉडी को कार्य करने के लिए ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है, जिसकी वजह से भूख ज्यादा लगती है।