दांतों के पीले पड़ने, कमजोर होने और मसूड़ों में घाव या खून आने की परेशानी किसी को भी हो सकती है। ओरल हेल्थ को बिगाड़ने वाली ये सभी परेशानियां दिन में दो बार ब्रश नहीं करने से, चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, तंबाकू, पान मसाला या बहुत ज्यादा मीठे पदार्थ खाने से हो सकती हैं। विटामिन C, विटामिन D और कैल्शियम की कमी से मसूड़े कमजोर होने लगते हैं। जब मसूड़ों में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं, तो मसूड़ों में सूजन, दर्द और खून निकलना शुरू हो जाता है। इन परेशानियों का समय पर इलाज न करने पर दांत ढीले पड़ सकते हैं।

तंबाकू, बीड़ी-सिगरेट का सेवन करने से दांतों पर निकोटीन की परत जम जाती है, जिससे वे पीले या भूरे हो जाते हैं। मुंह की सफाई में लापरवाही जैसे फ्लॉसिंग न करने या जीभ साफ न करने से बैक्टीरिया का जमाव बढ़ता है। यही बैक्टीरिया मसूड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और मुंह से बदबू आने लगती है।

दांतों और मसूड़ों से जुड़ी इन सभी परेशानियों से निजात पाने के लिए अब लोग आयुर्वेदिक और हर्बल उपचारों की ओर रुख कर रहे हैं। सदियों से आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल ओरल हाइजीन के लिए किया जाता रहा है। रासायनिक टूथपेस्ट और माउथवॉश के विपरीत, हर्बल उत्पाद सुरक्षित, किफायती और प्रभावी हैं। इन हर्ब्स में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण न केवल कैविटी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करते हैं, बल्कि मसूड़ों की सूजन, दर्द और खून आने की समस्या से भी राहत देते हैं।

दांतों का पीलापन दूर करने के लिए और ओरल हेल्थ में सुधार करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बेहद असरदार साबित होते हैं। आइए जानते हैं कि दांतों को साफ करने में कौन-कौन से असरदार घरेलू नुस्खे हैं जो दांतों से जुड़ी परेशानियों को दूर करते हैं।

नीम से करें दांतों का इलाज

आयुर्वेद में नीम को ओरल हेल्थ के लिए सबसे प्रभावी औषधि माना गया है। नीम में मौजूद एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व ऐसे बैक्टीरिया को रोकते हैं जो कैविटी और प्लाक बनाते हैं। नीम मसूड़ों की सूजन और खून बहने को कम करता है और जिंजिवाइटिस व पेरियोडोंटल डिजीज के उपचार में सहायक है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि नीम युक्त टूथपेस्ट से नियमित ब्रश करने पर प्लाक का जमाव घटता है, दांत मजबूत होते हैं और मुंह की दुर्गंध दूर होती है।

लौंग (Clove)

लौंग में मौजूद यूजेनॉल (Eugenol) एक प्राकृतिक दर्द निवारक और कीटाणुनाशक है। लौंग का तेल या पाउडर दांत दर्द और सूजन में तुरंत राहत देता है। रिसर्च के मुताबिक लौंग 70% तक मसूड़ों में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म कर सकती है। यही कारण है कि इसे माउथवॉश और घरेलू टूथ पाउडर में अक्सर शामिल किया जाता है।

हल्दी भी है दांतों और मसूड़ों के लिए जरूरी

गोल्डन स्पाइस कही जाने वाली हल्दी में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जो मसूड़ों को शांत करते हैं, प्लाक बनने से रोकते हैं और मुंह के घावों को भरने में मदद करते हैं। हल्दी का पेस्ट या पाउडर टूथपेस्ट में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। कई रिसर्च में ये बात साबित हो चुकी है कि हल्दी डेंटल प्लाक को पीला रंग देती है, जिससे लाइट डिवाइस से उसे पहचानना और साफ करना आसान होता है।

तुलसी (Tulsi)

तुलसी एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी माइक्रोबियल एजेंट है। तुलसी की पत्तियां चबाने या तुलसी की चाय पीने से दांतों की सड़न और बदबू से राहत मिलती है। रिसर्च के मुताबिक तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट्स गुण मसूड़ों की सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। तुलसी Streptococcus mutans जैसे बैक्टीरिया के खिलाफ भी प्रभावी है।

त्रिफला (Triphala)

आंवला, हरड़ और बहेड़ा से बनी त्रिफला पाउडर ओरल हेल्थ के लिए भी असरदार साबित होता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दांतों को मजबूत करते हैं और मसूड़ों को स्वस्थ बनाते हैं। त्रिफला माउथवॉश से कुल्ला करने पर प्लाक और जिंजाइवल इंफ्लेमेशन कम होता है, बिना किसी साइड इफेक्ट के।

इन 4 कारणों की वजह से हल्दी के साथ करें काली मिर्च का सेवन, दोनों मसालें सेहत पर कैसे करेंगे चमत्कार। पूरी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।