आज के समय में बालों की खूबसूरती को अधिक बढ़ने के लिए केराटिन ट्रीटमेंट कराना बेहद आम हो गया है। खासकर फ्रिजी बालों से छुटकारा पाने, बालों को अधिक शाइनी, स्ट्रेट और सिल्की बनाने के लिए ज्यादातर महिलाएं हर 6 महीने के गैप में केराटिन ट्रीटमेंट करना पसंद करती हैं। इससे बाल कुछ हद तक बेहतर भी नजर आते हैं। हालांकि, अगर आपसे कहा जाए कि आपके बालों की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला ये तरीका आपके शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग के लिए खतरा हो सकता है तो?

दरअसल, हाल ही में हुई एक रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि बालों में कराया जाना वाला केराटिन ट्रीटमेंट किडनी की सेहत पर बेहद खराब असर कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे-

कैसे है नुकसानदायक?

मामले को लेकर ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन कि रिपोर्ट बताती है, ‘केराटिन बेस्ड हेयर स्ट्रेटनिंग प्रोडक्ट्स में ग्लाइऑक्सीलिक एसिड (Glyoxylic Acid) पाया जाता है। वहीं, ये एसिड एक्यूट किडनी इंजरी के खतरे को तेजी से बढ़ा सकता है।’

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

रिसर्च में किए गए इस दावे को लेकर इंडियन एक्सप्रेस संग हुई एक खास बातचीत के दौरान अमृता अस्पताल, फ़रीदाबाद में नेफ्रोलॉजी की एचओडी डॉ. उर्मिला आनंद ने बताया, ‘पहले केराटिन बेस्ड हेयर स्ट्रेटनिंग प्रोडक्ट्स में फॉर्मेल्डिहाइड होता था। हालांकि, इससे बालों, त्वचा और आंखों पर प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखी गईं। इसके बाद इस रासायनिक यौगिक को ग्लाइकोलिक एसिड से बदल दिया गया, लेकिन आपको बता दें कि ये एसिड भी आपकी सेहत के लिए सुरक्षित नहीं है।’

डॉ. आनंद ने बताया, ‘जब ग्लाइकोलिक एसिड मेटाबॉलाइज होता है, तो यह ग्लाइऑक्सीलिक एसिड बन जाता है और अंत में ऑक्सालेट बनाता है, जो किडनी को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है। ग्लाइकोलिक एसिड रक्तप्रवाह में अवशोषित होकर ऑक्सालेट में परिवर्तित हो जाता है, जिससे किडनी खराब भी हो सकती है।’

डॉ. आनंद आगे बताती हैं, ‘वैसे तो ग्लाइकोलिक एसिड कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे क्लीनर, टोनर, सीरम और मॉइस्चराइज़र में पाया जाता है, लेकिन इनमें इसकी मात्रा उतनी अधिक नहीं होती जितना कि केराटिन-आधारित हेयर ट्रीटमेंट में होती है। इस तरह के प्रोसेस में ग्लाइकोलिक एसिड ही मुख्य घटक होता है। ऐसे में इस ट्रीटमेंट से बचें।’

वहीं, ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ से अलग ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ किडनी डिजीज’ में प्रकाशित एक अन्य पेपर में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए हैं। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने ऐसे 26 रोगियों की पहचान की है, जिन्होंने केराटिन ट्रीटमेंट के बाद एक्यूट किडनी इंजरी का अनुभव किया था।

रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 में से 7 मरीजों की किडनी बायोप्सी की गई, जिसमें 6 में इंट्रा ट्यूबुलर कैल्शियम ऑक्सालेट जमाव और 1 में ट्यूबलर कोशिकाओं में माइक्रोकैल्सीफिकेशन देखा गया। ऐसे में अगली बार इस तरह के हेयर ट्रीटमेंट से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।