देश और दुनिया में जापानी लोगों की सेहत की मिसाल दी जाती है। जापान ऐसा देश है जहां लोग अक्सर 100 साल से भी अधिक उम्र तक स्वस्थ रहते हैं। उनकी लंबी उम्र का सबसे बड़ा राज़ है उनका बेहतरीन लाइफ़स्टाइल और हेल्दी हैबिट्स। जापानी लोग शरीर को फिट रखने के लिए खुद को हमेशा एक्टिव रखते हैं। एक्टिव रहने के लिए वे वॉकिंग पर खास ज़ोर देते हैं। यही वजह है कि जापानी लोगों का वॉकिंग स्टाइल दुनिया भर में काफ़ी मशहूर है।
जापानी लोग बॉडी को एक्टिव रखने के लिए तनाव कंट्रोल करने के लिए और लम्बी उम्र तक सेहतमंद रहने के लिए कुछ खास तरह की वॉक करते हैं जैसे
- फॉरेस्ट वॉकिंग (Forest Bathing) से मतलब है हरे-भरे जंगलों या पार्कों में वॉक करने से है जो जापानी लोग ज्यादा करते हैं।
- पोस्चर वॉकिंग (Posture Walking) में जापानी लोग वॉक करते समय शरीर का पोस्चर सीधा रखने पर ध्यान देते हैं। इन एक्सरसाइज को करने से बैक और स्पाइन मजबूत रहती है और बॉडी शेप बेहतर रहता है।
- निको-निको वॉक (Niko-Niko Walking) जिसका मतलब स्माइल के साथ वॉक करना है। इस वॉकिंग स्टाइल में बहुत तेज़ नहीं, बल्कि हल्की-फुल्की मुस्कान और आरामदायक स्पीड से वॉक की जाती है।
जापानी लोगों का वाकिंग स्टाइल दुनिया में सबसे ज्यादा अपनाया जाता है, इसे लॉन्ग लाइफ सीक्रेट भी माना जाता है। जापानी वॉकिंग तकनीक एक माइंडफुल और लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज़ है, जो पॉश्चर सुधारती है, कोर मसल्स को मज़बूत बनाती है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाती है, तनाव कम करती है और वज़न मैनेजमेंट में मदद करती है। यह तकनीक रोज़ाना की वॉक को असरदार और तरोताज़ा बनाने का तरीका है। आइए जानते हैं कि जापानी वॉकिंग करने से सेहत पर कैसा असर होता है।
पॉश्चर में होता है सुधार
जापानी वॉकिंग तकनीक में रीढ़ को सीधा रखना, कंधों को रिलैक्स रखने और सिर को संतुलित रखना शामिल है। इसे नियमित रूप से करने से पोस्टल मसल्स मज़बूत होती हैं, पीठ और गर्दन पर दबाव कम होता है और रोजमर्रा की गतिविधियों में सही बॉडी एलाइनमेंट बनाए रखने में मदद मिलती है।
ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा
धीमी और सोच-समझकर की गई वॉकिंग, सही हाथों की मूवमेंट के साथ, हार्ट और अंगों तक ब्लड फ्लो को बेहतर बनाती है। बेहतर सर्कुलेशन से ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स आसानी से पहुंचते हैं, थकान कम होती है और लंबे समय तक दिल की सेहत दुरुस्त रहती है।
कोर स्ट्रेंथ को बढ़ाए
चलते समय पेट और लोअर बैक की मसल्स को सक्रिय करने से कोर स्वाभाविक रूप से मज़बूत होता है। यह लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज मसल्स को टोन करती हैं, बैलेंस सुधारती है और स्पाइन को स्थिर बनाती है, जिससे रोज़मर्रा की गतिविधियों में चोट का खतरा कम होता है।
तनाव होता है कंट्रोल
पॉश्चर दुरुस्त करने से, सांस पर और हर कदम पर ध्यान केंद्रित करने से माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन बढ़ता है। यह मेडिटेटिव वॉकिंग तकनीक कोर्टिसोल लेवल को कम करती है, दिमाग को शांत करती है और मानसिक स्पष्टता लाती है, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव दोनों कंट्रोल रहता है।
वज़न घटाने में हैं मददगार
धीमी रफ्तार से चलने पर भी ये वॉकिंग तकनीक कैलोरी बर्न करती है, मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाती है और कई मसल्स को एक्टिव करती हैं। नियमित अभ्यास से फैट लॉस में मदद मिलती है, एनर्जी की खपत बढ़ती है और वजन को लंबे समय तक कंट्रोल रखने में मदद मिलती है।
मीठा न खाने पर भी क्यों बढ़ जाता है Blood Sugar? डॉक्टर ने बताए शुगर स्पाइक के 7 कारण, आप भी अक्सर अपने ब्लड शुगर में स्पाइक महसूस करते हैं तो इस खबर से लीजिए पूरी जानकारी।