लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठे रहने पर अक्सर हाथ-पैर अकड़ से जाते हैं। सुन्न पड़ जाते हैं। उनमें झुनझुनी उठने लगती है। तब किसी चीज को छूने से उसका एहसास नहीं होता। हालांकि सुन्नपन की समस्या केवल देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहने की वजह से केवल हाथ-पैरों में नहीं होती। शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऐसा हो सकता है। नए वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि दुनिया में लगभग अट्ठाईस फीसद लोग सुन्नपन का शिकार जरूर होते हैं।
कारण
अगर शरीर के किसी भी हिस्से में नियमित सुन्नपन, अकड़न-जकड़न सप्ताह में दो से तीन बार लगातार होती है, तो समझ जाना चाहिए कि यह वात रोग या अर्थराइटिस की शुरुआत है। सुन्नपन आने का एक कारण किसी ठंडी चीज को बहुत देर तक छूते रहने या ठंडे खाद्य-पदार्थों के सेवन से शरीर के किसी भी हिस्से में सुन्नता आने लगती है।
इसके अलावा तंत्रिकाओं में चोट लगने, बहुत ज्यादा नशा करने, शराब के अधिक सेवन, थकान, बीड़ी-सिगरेट, धूम्रपान, अधिक गुटका-तंबाकू खाने, मधुमेह, विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम की कमी आदि से भी यह विकार हो सकता है।
आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में खून के संचार में अवरोध होने से हाथ-पैर का सुन्न पड़ जाना बेहद आम बात है। जब अंगों पर लगातार दबाव पड़ता है, तो शरीर के सभी हिस्सों तक आक्सीजन का संचार नहीं हो पाता, जिसके चलते सुन्नपन आ जाता है।
विटामिन बी की कमी : हाथ-पैर सुन्न होने का एक कारण शरीर में विटामिन बी की कमी भी हो सकता है। विटामिन बी कोशिकाओं को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है। इसकी कमी की वजह से शरीर में सुन्नपन या झुनझुनाहट की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए अपने आहार में विटामिन बी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इसके लिए केला, पालक, मछली, दुग्ध उत्पाद, अंकुरित अनाज आदि का सेवन कर सकते हैं।
गलत मुद्रा : अधिकतर लोग सोते समय हाथ को सिर के नीचे रखते हैं, इससे हाथ की नसों पर दबाव बनता है। नसों में सही ढंग से रक्त संचार नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से हाथों में सुन्नता आ सकती है। इसे चिकित्सीय भाषा में ‘पेरेस्टेसिया’ कहते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों में ‘पेरेस्टेसिया’ हो सकता है। अगर आपको अक्सर हाथ-पैरों में सुन्नता का अनुभव होता है, तो चिकित्सक से इलाज करवाएं।
काम की वजह से : कंप्यूटर के की-बोर्ड पर टाइप करने या मशीनों पर काम करने वाले लोगों में ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ होने का खतरा अधिक होता है। इससे हाथ-पैरों में झनझनाहट या सुई चुभने जैसा महसूस हो सकता है। इससे बचने के लिए की-बोर्ड पर ज्यादा देर तक टाइप करने से बचें।
मधुमेह : मधुमेह यानी डायबिटीज की समस्या होने पर व्यक्ति को हाथ-पैरों में सुन्नपन और झनझनाहट महसूस हो सकती है। इसमें बार-बार पेशाब आता है और भूख ज्यादा लगती है। अगर आपको डायबिटीज है और आप नियमित रूप से हाथ-पैर में सुन्नता का अनुभव कर रहे हैं, तो यह तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी के कारण हो सकता है। इसके लिए अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं और अपने का विशेष ध्यान रखें।
नस दबने के कारण : हाथ-पैरों में सुन्नता की समस्या नस दबने के कारण हो सकती है। गर्दन या कमर की नस दबने के कारण बाजू और पैरों में झनझनाहट या सुन्नपन का अनुभव हो सकता है। ऐसा गठिया, चोट लगने या गलत मुद्रा में उठने-बैठने के कारण हो सकता है।
उपचार
व्यायाम करें : अगर अक्सर रात में सोते हुए हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं, तो व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर बनता है। रोजाना 20-30 मिनट तक व्यायाम करने से आपको लाभ होगा।
तेल मालिश : हाथ-पैर सुन्न होने की समस्या में तेल मालिश काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। तेल की मालिश करने से शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है। इसके लिए आप सरसों के तेल को गर्म करके हाथ-पैरों की मालिश करें।
हल्दी वाला दूध : हाथ-पैरों की सुन्नता दूर करने के लिए हल्दी का सेवन करें। हल्दी में मौजूद ‘एंटीआक्सीडेंट’ रक्त संचार बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके साथ ही, हल्दी में मौजदू तत्त्व सूजन और दर्द को कम करने में असरदार हैं। सर्दियों में रोजाना सोने से पहले एक गिलास गर्म हल्दी वाले दूध का सेवन करें।
इसके अलावा सुन्नपन से बचने के लिए ठंडक और ठंडे खाद्य पदार्थों से बचें। व्यायाम के तुरंत बाद पानी न पियें। देर रात तक न जागें, नींद पूरी लें। सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पियें। रात में दही, जूस, आइसक्रीम न खाएं। अधिक समय तक स्थिर मुद्रा में न बैठें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)