शहर में ज्यादातर लोगों का नाश्ता ब्रेड से होता है। किसी को ब्राउन ब्रेड खाना पसंद है तो किसी को गेहूं और मल्टीग्रेन ब्रेड खाना पसंद है। ज्यादातर लोग सफेद ब्रेड का सेवन करते हैं जो मैदा से बनी होती है। सुबह सवेरे खाली पेट मैदा का सेवन करने से ना सिर्फ पाचन बिगड़ता है बल्कि ब्लड शुगर का स्तर भी हाई रहता है। डायबिटीज मरीजों को अक्सर सलाह दी जाती है कि वो नाश्ते में ब्रेड का सेवन नहीं करें।
कार्बोहाइड्रेट से भरपूर ब्रेड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा हाई होता है जिसका सेवन करने से ब्लड में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है। हालांकि बाजार में तरह-तरह की ब्रेड मौजूद हैं जो ये दावा करते हैं कि इनका सेवन करने से ब्लड में शुगर का स्तर नॉर्मल रहता है। लेकिन कंपनियों के इन दावे में कोई सच्चाई नहीं है।
मैक्स हेल्थकेयर के एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज के अध्यक्ष और प्रमुख डॉ अंबरीश मिथल ने बताया कि डायबिटीज मरीज ब्रेड का सेवन उसपर छपी जानकारी पढ़ कर ही करें। डायबिटीज मरीज ब्रेड का सेवन नहीं करें तो पूरी तरह बेहतर है। अगर ब्रेड का सेवन करना चाहते हैं तो उसके प्रकार और कार्बोहाइड्रेट के स्तर पर पहले ध्यान दें। ब्रेड का सीमित सेवन करना ही डायबिटीज मरीजों के लिए उपयोगी है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि डायबिटीज मरीज कौन-कौन सी ब्रेड का सेवन कर सकते हैं।
सफेद ब्रेड
सफेद ब्रेड आमतौर पर रिफाइंड आटा या मैदा से बनाई जाती है। जब अनाज को रिफाइंड किया जाता है तो उसकी बाहरी परत जिसे चोकर कहते हैं वो पूरी तरह हट जाती है। चोकर फाइबर से भरपूर होता है जो सेहत के लिए उपयोगी है। अनाज को रिफाइंड करने के बाद सिर्फ स्टार्चयुक्त पदार्थ बच जाता है जिसमें फाइबर की मात्रा कम होती है। रिफाइंड अनाज का सेवन करना चीनी खाने के समान है। डायबिटीज मरीजों को इसका सेवन करने से बचना ही बेहतर है। सफेद ब्रेड का सेवन सिर्फ डायबिटीज मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि हेल्थ कॉन्शियस लोगों के लिए भी नुकसान दायक है।
ब्राउन ब्रेड
ब्राउन ब्रेड को बनाने के लिए अक्सर जौ माल्ट या गुड़ का उपयोग किया जाता है। ब्रेड में इस्तेमाल होने वाली ये सभी सामग्रियां मीठी हैं और डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। भारत में उपलब्ध अधिकांश ब्राउन ब्रेड सफेद ब्रेड के समान ही हैं।
साबुत गेहूं या आटा ब्रेड
आटा की ब्रेड बनाने के लिए जिस आटा का इस्तेमाल होता है वो पूरी तरह गेहूं के दानों को पीसकर बनाया जाता है। इस आटे की ब्रेड में सफेद ब्रेड की तुलना में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। फाइबर होने की वजह से इसे सीमित मात्रा में खाया जा सकता है। रिफाइंड आटे से बनी रोटी की तुलना में इस आटे में चोकर मौजूद होता है जो बॉडी को पोषण देता है। इस आटे में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें बहुत अधिक प्रोटीन, विटामिन और फाइबर मौजूद होत है जो बॉडी को हेल्दी रखता है।
अधिकांश साबुत अनाज की ब्रेड भूरे रंग की होती हैं, लेकिन सभी ब्राउन ब्रेड साबुत अनाज से नहीं बनाई जाती हैं। हालांकि ब्रेड पर लगा लेवल 100 प्रतिशत साबुत अनाज का उपयोग करने का दावा करता है जिसपर भरोसा करना मुश्किल है। फिर भी ब्रेड खरीदने और खाने से पहले उसपर लगे लेबल का ध्यान रखना जरुरी है।
मल्टीग्रेन ब्रेड
मल्टीग्रेन ब्रेड में कद्दू के बीज या सूरजमुखी के बीज के साथ गेहूं की भूसी, जई और जौ को शामिल किया जाता हैं। ये दोनों सीड्स ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में असरदार साबित होते हैं। डायबिटीज मरीजों के लिए सफेद ब्रेड और ब्राउन ब्रेड का सेवन करने से बेहतर है कि वो मल्टीग्रेन ब्रेड का सेवन करें।