आज यानी 19 मई के दिन को दुनियाभर में विश्व आईबीडी दिवस (World Ibd Day) के तौर पर मनाया जाता है। आईबीडी यानी इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel Disease) पाचन से जुड़ी खतरनाक बीमारी है। इससे पीड़ित होने पर व्यक्ति की आंतों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है। इतना ही नहीं, कई मामलों में ये स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के बारे में, साथ ही जानेंगे इससे पीड़ित होने पर किस तरह के लक्षण नजर आते हैं और सूजन आंत्र रोग यानी आईबीडी से बचाव कैसे किया जा सकता है-
क्या होती है इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज में दो स्थितियां शामिल हैं, पहला क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) और दूसरा अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)। क्रोहन रोग ज्यादातर छोटी आंत के छोर को प्रभावित करता है। वहीं, अल्सरेटिव कोलाइटिस में बड़ी आंत में सूजन बढ़ने लगती है। इस स्थिति में शुरुआत में पीड़ित को पेट दर्द, खूनी दस्त, डायरिया, गैस आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है और फिर समय के साथ ये पाचन को पूरी तरह ठप करने लगती है, जिससे स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में अगर आपको लंबे समय तक इस तरह के लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है, लगातार समय-समय पर उल्टी-दस्त, एसडिटी या खूनी दस्त जैसी समस्याएं आपको घेर लेती हैं, तो एक बार आंतों की जांच जरूर कराएं।
किन लोगों को है अधिक खतरा?
आईबीडी होने का प्रमुख कारण क्या है, ये अभी भी शोध का विषय बना हुआ है। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान की आदतों को इसके पीछे अहम कारण मानते हैं, इसके अलावा कमजोर इम्यून सिस्टम भी आईबीडी की संभावनाओं को काफी बढ़ा देता है। वहीं, कुछ मामलों में ये जेनेटिक भी हो सकता है। यानी अगर किसी के पारिवारिक इतिहास में आईबीडी की समस्या रही है, तो उस व्यक्ति में भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या है बचाव का तरीका?
आईबीडी से बचाव के लिए खानपान और लाइफस्टाइल पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में सूजन आंत्र रोग यानी आईबीडी होने पर सबसे पहले अधिक मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स, प्रोसेस्ड फूड्स, वनस्पति तेल, तंबाकू, शुगरी फूड, कैफीन और शराब के सेवन से बचें।
क्या खाएं?
- इससे अलग स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम को बढ़ावा देने के लिए प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दही, केफिर और फरमेंडिट सब्जियों को डाइट का हिस्सा बनाएं। केले, प्याज, लहसुन और साबुत अनाज जैसे प्रीबायोटिक खाद्य पदार्थ भी आंत के स्वास्थ्य में सहायता कर सकते हैं।
- शरीर में पानी की कमी न होने दें। खासकर दस्त होने की स्थिति में इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय पदार्थ फायदेमंद हो सकते हैं।
- इन सब से अलग हेल्दी फैट (ओमेगा-3 फैटी एसिड सहित) के स्रोतों जैसे एवोकाडो, नट्स, बीज और जैतून का तेल को सही मात्रा में डाइट में शामिल करें।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।