हमारा लाइफस्टाइल और खानपान पूरी तरह बिगड़ गया है और जिंदगी के ज्यादातर काम डिजिटली सेट रहते हैं। उठते- बैठते जिंदगी के ज्यादातर काम मशीनों की मदद से करते हैं। हम इतना ज्यादा गैजेट्स फ्रेंडली हो चुके हैं कि हमारा उठना-बैठना और सोना-जागना भी गैजेट्स ही तय करते हैं। शहरी लोगों की गैजेट्स पर निर्भरता गांव के लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा है इसलिए शहरी लोग ज्यादा बीमार है। आप जानते हैं कि गांव में लोग बिना किसी अलार्म के अपने आप जागते हैं और सोते हैं, लेकिन शहरी लोग रात को घड़ी देखकर सोते हैं और सुबह बिस्तर से अलार्म की मदद से उठते हैं।

एयर कंडीशनर बंद कमरों में नींद खोलने के लिए अलार्म ही शहरी लोगों का साथी है लेकिन आप जानते हैं कि ये अलार्म आपको जगाता तो है लेकिन उसके साथ बिस्तर से उठते ही आपका बीपी भी हाई करता है। लगातार अलार्म की मदद से जागने की आदत आपको हाई ब्लड प्रेशर का मरीज बना सकती है और दिल के रोगों का खतरा बढ़ा सकती है।

अलार्म कैसे आपका बीपी हाई करता है?

UVA स्कूल ऑफ नर्सिंग में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अलार्म बजने पर जागने से बिना अलार्म के जागने वालों की तुलना में बीपी में 74% की वृद्धि हो सकती है। अपोलो अस्पताल, हैदराबाद के सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि उन लोगों के बीपी में तेजी से वृद्धि होती है जो 7 घंटों से कम सोते हैं। सुबह-सुबह बीपी के स्तर में ये उछाल हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। ये जोखिम उन लोगों में ज्यादा होता है जो पहले से ही दिल के रोगों से पीड़ित हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक अलार्म आपको गहरी नींद से जगाता है जिसकी वजह से आपको कुछ घंटों के लिए सुस्ती महसूस हो सकती है और तनाव का स्तर बढ़ सकता है।

जागने के लिए अलार्म का सब्सीट्यूट क्या है?

  • नियमित रूप से अलार्म का इस्तेमाल करने से बचें।
  • 7-8 घंटों की पर्याप्त नींद लें, जिससे आप स्वाभाविक रूप से नींद से जाग सके
  • अपने कमरे में सूरज की रोशनी की व्यवस्था करें ताकि मस्तिष्क में मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) का उत्पादन कम हो सके। प्रकाश के संपर्क में आने से आप स्वाभाविक रूप से जाग सकते हैं।
  • आप नींद का शेड्यूल बनाए रखें। हर रात लगभग एक ही समय पर बिस्तर पर सोएं समय पर नींद खुलेगी। जो आपके सर्कैडियन लय के अनुरूप होगा।
  • अगर आपको अलार्म का इस्तेमाल करना है तो आप सॉफ्ट टोन का इस्तेमाल करें जो सुनने में अच्छी लगे।

अलार्म की आवाज कैसे आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत को करती है प्रभावित

ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल्स परेल मुंबई में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट  डॉ. मंजूषा अग्रवाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अलार्म बजने पर जागने की प्रैक्टिस आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित कर सकती है। जब आपकी गहरी नींद होती है और तेज़ अलार्म बजने से आपकी नींद खुलती है तो इससे घबराहट और चिंता की भावना पैदा हो सकती है और कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है।

कोर्टिसोल एक प्रकार का तनाव हार्मोन है जो दिन की शुरुआत में ही आपके मिजाज़ को चिड़चिड़ा बना सकता है। इससे आपका तनाव बढ़ सकता है। आप लाइफस्टाइल में बदलाव करें और कुछ सेल्फ प्रेक्टिस करें तो बिना अलार्म के भी समय पर जाग सकते हैं। आप हर दिन एक ही समय पर जागते और सोते हैं तो आपकी बॉडी बिना अलार्म के ही समय पर जागने लगती है। बिना अलार्म के अगर आप जागते हैं तो आपका मूड ठीक रहता है और आप ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करते हैं।

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