डायबिटीज एक ऐसी क्रॉनिक बीमारी है जिसकी वजह से कई बीमारियां सौगात में मिल जाती है। डायबिटीज की बीमारी में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है या कम कर देता है। इंसुलिन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए ही शुगर के मरीज इंसुलिन का इंजेक्शन और दवाई का सेवन करते हैं। डायबिटीज को सिर्फ दवाई से और कुछ खास तरीके अपनाकर कंट्रोल किया जा सकता है। इस बीमारी का जड़ से इलाज नहीं किया जा सकता है। अगर इस बीमारी को लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया जाए तो बॉडी के इंटरनल ऑर्गन जैसे दिल,किडनी और लंग्स को नुकसान पहुंच सकता है।

डायबिटीज मरीजों की शुगर अगर लगातार बढ़ी रहे तो उन्हें पैरों में कई तरह की समस्या होने लगती है। डायबिटीज का स्तर 360 mg/dl से ऊपर चला जाए तो पैरों में कई तरह की परेशानी होने लगती है। पैरों में घाव,अंगों और मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटीज मरीजों में होने वाली इस खतरनाक स्थिति को डायबिटीज न्यूरोपैथी कहते हैं।

डायबिटीज स्पेशलिस्ट सेंटर के डॉक्टर वी मोहन के मुताबिक डायबिटीज न्यूरोपैथी की परेशानी तब होती है जब डायबिटीज का स्तर हाई होने से होती है। इस स्थिति में पैर और पैरों की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिसमें गर्मी और सर्दी या दर्द का अहसास नहीं होता। भावना की इस कमी को “संवेदी मधुमेह न्यूरोपैथी(sensory diabetic neuropathy) कहा जाता है। इस स्थिति में न्यूरोपैथी के कारण पैर पर कोई कट या घाव महसूस नहीं होता और घाव जल्दी भरता नहीं है जिससे स्थिति बेहद खराब होने लगती है। इस स्थिति में पैर के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

डायबिटीज जब नर्व्स पर हमला करने लगे तो डायबिटीज न्यूरोपैथी कहलाता है। इस स्थिति में पैर की मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करती और आपके पैर के एक हिस्से पर बहुत अधिक दबाव बन सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण कौन कौन से हैं और इस स्थिति को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।

डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण

  • डायबिटिक न्यूरोपैथी में पैरों में घाव होने लगता है।
  • डायबिटीज फुल अल्सर हो सकता है जिसमें पैरों की स्किन का रंग बदल सकता है।
  • फुट अल्सर ठीक नहीं होता तो पैरों में घाव होने लगता है।
  • चलने फिरने में परेशानी हो सकती है।
  • अगर न्यूरोपैथी के लक्षण के लक्षण कंट्रोल नहीं होते तो नौबत अंग काटने तक की आ सकती है।
  • पैरों में झुनझुनी सनसनी और बेचैनी रहती है।
  • पैरों में झुनझुनी या जलन पैदा होना भी डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षण हैं।

डायबिटीज न्यूरोपैथी से इस तरह करें बचाव

  • ब्लड में शुगर के स्तर को कंट्रोल करें। शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाई का सेवन करें।
  • बॉडी को एक्टिव रखें। वॉक और एक्सरसाइज करें। याद रखें कि वॉक ग्राउंड में करें। ऐसी जगह पर करें जहां से पैरों में चोट लगने का खतरा नहीं रहें।
  • पैर पर घाव है सुन्नपन या झुनझुनी महसूस कर रहे हैं तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
  • अपने वजन को कंट्रोल करें और डाइट का ध्यान रखें। डाइट में कम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करें और प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं।
  • पैरों की सफाई का ध्यान रखें। पैरों में गंदे मोजे और जूतों को पहनते समय सफाई का ध्यान दें।