थॉयराइड एक ऐसी परेशानी है जिसके लिए खराब डाइट,बिगड़ता लाइफस्टाइल और तनाव जिम्मेदार है। ये बीमारी किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना लेती है। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक को ये बीमारी अपना शिकार बना सकती है। थॉयराइड की बीमारी 80 वर्ष से अधिक आयु के 10 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को प्रभावित करती हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों में हाइपोथायरायडिज्म सबसे आम थायरॉयड स्थिति है जो उम्र के साथ लगातार बढ़ती जाती है। थॉयराइड जैसी बीमारी बुजुर्गों को हो जाए तो उनको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। लोगों को थायराइड के प्रति जागरूक करने और बचाव के तरीकों के बारे में बताने के उद्देश्य से हर साल 25 मई यानि आज के दिन वर्ल्ड थायराइड डे मनाया जाता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि थॉयराइड की बीमारी के कारण क्या हैं और ये बीमारी बुजुर्गों में कैसे पनपती है।

थायराइड क्या है?

रूबी हॉल क्लिनिक,पुणे में कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ.हर्षल एकतपुरे ने बताया कि थायरॉइड गर्दन में एक तितली के आकार की ग्रंथि है जो आमतौर पर दो तरह के हार्मोन का उत्पादन करती है,ट्राईआयोडोथायरोनिन यानि T3 और थायरोक्सिन यानि T4। जबकि TSH (Thyroid Stimulating Hormone) पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा उत्पादित एक हार्मोन है, जो थायराइड ग्रंथि के स्राव को नियंत्रित करता है। 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में, टीएसएच थायराइड विकार का पता आसान ब्लड टेस्ट करके लगाया जा सकता है। अगर TSH का स्तर 2.0 से ज्यादा है, तो हाइपोथायरॉडिज्म बढ़ने का खतरा अधिक रहता है। इसमें वजन बढ़ने लगता , थकान , अवसाद और नाखूनों के टूटने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

क्या यह बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करता है?

डॉ. एकतपुरे के अनुसार, बुजुर्गों में थायरॉइड डिसफंक्शन बहुत असामान्य नहीं है, लेकिन यह अक्सर वर्षों तक पता नहीं चल पाता है, क्योंकि लोगों में थायरॉइड डिसफंक्शन से जुड़े खास लक्षणों तुरंत नहीं दिखते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म:

हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉयड ग्रंथि कुछ महत्वपूर्ण हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाती है। शुरुआती में इसके खास लक्षण नहीं दिख पाते हैं यही कारण है कि इसकी जल्दी पहचान करना मुश्किल होता है। थायरॉइड ग्रंथि के अंडर-फंक्शनिंग को आमतौर पर प्राथमिक हाइपोथायरायडिज्म के रूप में जाना जाता है। बुजुर्गों में यह सिंगल लक्षण के साथ ही दिखते है। सुस्ती, अत्यधिक नींद, चेहरे की सूजन,डिप्रेशन, ऊर्जा और भूख की कमी,यौन अक्षमता ये लक्षण आमतौर पर बुजुर्गों में दिखते हैं।

डॉ एकतपुरे के अनुसार, बुजुर्गों में टी4 और टीएसएच स्तरों का एक साधारण ब्लड टेस्ट करके पता लगाया जा सकता है। अगर ठीक से निदान और इलाज किया जाता है, तो ये लक्षण पूरी तरह से रिवर्स हो सकते हैं और बुजुर्ग मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हो सकता हैं। यदि इसका निदान नहीं किया जाता है और इलाज नहीं किया जाता है तो इसकी वजह से बॉडी में कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसके बढ़ने से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का जोखिम बढ़ने का खतरा अधिक रहता है।

निदान और प्रबंधन

मणिपाल अस्पताल, ओल्ड एयरपोर्ट रोड, बैंगलोर में मधुमेह और एंडोक्रिनोलॉजी,सलाहकार डॉ आदित्य जी हेगड़े ने बताया कि इलाज करने वाले डॉक्टर को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रोगी को प्राइमरी या सेकेंडरी हाइपोथायरायडिज्म है। उन्होंने कहा कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड की समस्या अधिक होती है। गहन हाइपोथायरायडिज्म या इमर्जेंसी सर्जरी के मामलों को छोड़कर उपचार को बहुत आकस्मिक शुरू करने की आवश्यकता नहीं है। एक बार इलाज शुरू हो जाने के बाद मरीजों को हर तीन महीने में एक बार फॉलोअप करने के लिए कहा जाता है।