कोविड-19 के दौर ने हमारे जीवन को काफी हद तक बदल दिया है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के लिहाज़ से महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में यह दौर हमारे लिए एक चेतावनी की तरह था। इसी समय में दुनिया भर में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच के संतुलन की अहमियत के बारे में भी जागरूकता बढ़ी, जिसकी वजह से लोग अपनी सेहत और देखभाल पर भी पहले के मुकाबले ज़्यादा ध्यान देने लगे हैं। हालांकि, वायरस से संक्रमित होने के डर की वजह से लोग आमने-सामने से डॉक्टर से सलाह लेने से बचते रहे, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए टेलीहेल्थ के क्षेत्र में टैक्नोलॉजी के लिहाज़ से सुधार का रास्ता खुल गया।
भारत में अब भी कई जगहें हैं जहां स्वास्थ्यसेवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। लेकिन फिर भी कई लोग किसी भी बीमारी के लिए क्लिनिक में जाना पसंद करते हैं, जिसके लिए पैसों की और लंबी दूरी तक सफर करने की ज़रूरत पड़ती है। इसलिए, टेलीहेल्थ ने मरीज़ों को अपने घर पर बैठे-बैठे डॉक्टरों से संपर्क करने की सुविधा उपलब्ध कराकर इस ज़रूरत को पूरा कर बाज़ार में अपनी जगह पहुंचाई है। मॉरडॉर इंटेलिजेंस के मुताबिक, सभी जनसांख्यिकी वर्गों, ग्रामीण और शहरी इलाकों में टेलीहेल्थ की बढ़ती स्वीकार्यता से टेलीहेल्थ का भी विस्तार होने की उम्मीद है। वर्ष 2023 से 2028 के बीच इस बाज़ार के 25.50 फीसदी की चक्रवृद्धि दर यानी सीएजीआर की दर से बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि टेलीहेल्थ सेवाएं बीते कुछ वर्षों में बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हुई हैं जिससे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं में मदद मिली है। इसलिए, आइए आधुनिक दौर में टेलीहेल्थ सेवाओं की मदद से स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों का समाधान तलाशने से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान तलाशने से जुड़ी खास बातें
वर्चुअल कंसल्टेशन
इस बात में कोई दोराहे नहीं है कि टेलीहेल्थ सेवाओं के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या फोन कॉल का इस्तेमाल करने से डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करने की प्रक्रिया काफी आसान हो गई है। जीवन में कुछ ऐसे क्षण आते हैं जब लोगों को खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है और इसके साथ ही यह भी ज़रूरी होता है कि उनकी देखभाल कोई विशेषज्ञ करे। इस लिहाज़ से देखा जाए, तो वर्चुअल कंसल्टेशन ऐसे समाधान के तौर पर उभरा है जिससे व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात किए बिना लक्षणों, पुरानी जानकारी और उपचार के विकल्पों के बारे में चर्चा करने का मौका मिलता है। इसके अलावा, वर्चुअल कंसल्टेशन का इस्तेमाल नियमित चेक-अप, फॉलो-अप करने और सेहत से जुड़ी छोटी-मोटी चीज़ों के बारे में चर्चा करने के लिए भी किया जा सकता है।
दूरदराज के इलाकों से निगरानी
अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न होने की वजह से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग अब भी अपने डॉक्टरों से व्यक्तिगत तौर पर मिलना पसंद करते हैं। परिणामस्वरूप उन्हें डॉक्टर से सलाह लेने के लिए घंटों तक यात्रा करनी पड़ती है, जिसकी वजह से आखिरकार उनकी यात्रा का खर्च बढ़ जाता है। हालांकि, दूरदराज के इलाकों से भी निगरानी करने से जुड़े समाधानों के साथ, स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाले लोग दूरदराज के इलाकों से भी मरीज़ की स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों की निगरानी कर सकते हैं। इन डिवाइसों की मदद से ब्लड प्रेशर, हृदयगति, ब्लड ग्लूकोज़ का स्तर और ऑक्सीजन सैचुरेशन जैसी महत्वपूर्ण चीज़ें मापी जा सकती हैं। मरीज़ ये डेटा अपने स्वास्थ्यसेवा प्रदाताओं से साझा कर सकते हैं जो उपचार की योजनाओं के हिसाब से उचित सलाह दे सकते हैं या उसमें बदलाव कर सकते हैं।
फॉलो-अप देखभाल
फॉलो-अप का मतलब मरीज़ के पिछले सेशन के बाद उसकी तबियत की जानकारी पाने के लिए किसी खास तारीख पर उनसे संपर्क करना होता है। उचित फॉलो-अप से स्वास्थ्यसेवा प्रदाताओं को गलतफहमियों को दूर करने, सवालों का जवाब देने और जांच कराने और थेरेपियों में बदलाव करने में मदद मिल सकती है। इस तरह मरीज़ टेलीहेल्थ के माध्यम से अपने डॉक्टरों से संपर्क कर सकते हैं, ताकि वे अपनी तबियत में सुधार की स्थिति के बारे में चर्चा कर सकें, सवाल पूछ सकें और उपचार के बाद के निर्देश या सलाह पा सकें। इससे व्यक्तिगत तौर पर मिलने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, खास तौर पर यह उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो स्वास्थ्य सेवाओं से दूर कहीं रहते हैं।
टेलीहेल्थ
स्वास्थ्यसेवा उद्योग की कमियों की भरपाई करना इस बात को कोई नकार नहीं सकता है कि पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्यसेवाएं उपलब्ध न होने की समस्या भारत के लिए बड़ी चुनौती है और खास तौर पर गांवों में रहने वाली आबादी के लिए। हालांकि, जब से हमारे जीवन में टैक्नोलॉजी के लिहाज़ से नई खोजें सामने आई हैं, तब से स्वास्थ्य से जुड़े डिजिटल इनोवेशन इस्तेमाल किए जाने लगे हैं और इनमें टेलीहेल्थ सेवाएं भी शामिल हैं। टेलीहेल्थ ने लोगों के लिए अपनी सेहत पर नज़र रखना और ज़रूरत पड़ने पर उचित चिकित्सकीय उपचार पाना आसान बना दिया है और वह भी अपने घर में बैठे-बैठे। परिणामस्वरूप यह कहा जा सकता है कि मरीज़ों और डॉक्टरों को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करके टेलीहेल्थ सेवाओं ने स्वास्थ्यसेवा उद्योग में मौजूद कमियों की भरपाई करने की सुविधा दी है।
तत्त्वन ई क्लिनिक के को-फाउंडर और सीईओ आयुष अतुल मिश्रा से बातचीत पर आधारित