डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके लिए खराब डाइट,बिगड़ता लाइफस्टाइल और तनाव जिम्मेदार है। इस बीमारी में पैंक्रियाज इंसुलिन का कम उत्पादन करता है या उत्पादन करना बंद कर देता है जिसकी वजह से ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। हाई ब्लड शुगर को अगर लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया तो इसका असर दिल से लेकर किडनी,लंग्स और आंखों पर पड़ता है। आप जानते हैं कि शुगर का हाई स्तर आपकी आंखों की रोशनी भी छीन सकता है।

वेबएमडी खबर के मुताबिक डायबिटीज की वजह से आंखों की रोशनी कम होना डायबिटिक रेटिनोपैथी कहलाता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी डायबिटीज के कारण रेटिना को होने वाला नुकसान हैं। इस परेशानी में रेटिना की रक्त वाहिकाओं से रक्त और तरल रिस सकता है। इस बीमारी के शुरुआती चरणों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखता। कुछ लोग विजन में बदलाव महसूस करते हैं जैसे पढ़ने में परेशानी होना या फिर दूर की वस्तुओं को देखने में परेशानी होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

कुछ समय बाद इस बीमारी के लक्षण बढ़ने लगते हैं। रेटिना में जेल जैसा लिक्विड पदार्थ निकलता है जो आखों में भर जाता है, जिसकी वजह से तैरते हुए धब्बे या मकड़ी के जाले जैसी दिखने वाली धारियां दिखाई दे सकती हैं। कभी-कभी ये धब्बे अपने आप ठीक हो जाते हैं लेकिन इस बीमारी का तुरंत उपचार कराना जरूरी है।

उपचार के बिना आंख के पिछले हिस्से में निशान बन सकते हैं। ब्लड वैसल्स से फिर से रक्तस्राव शुरू हो सकता है, या रक्तस्राव बदतर हो सकता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी ज्यादातर दोनों आंखों को प्रभावित करती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी ग्लूकोमा या अंधापन दोनों का कारण बन सकती हैं। इस बीमारी की तीन स्टेज हैं,जिनका उपचार अलग-अलग तरीके से किया जाता है। आइए जानते हैं कि डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा किन लोगों को होता है और इस परेशानी से कैसे बचाव करें।

कब और किन लोगों को होता है डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा ?

टाइप 1, टाइप 2 डायबिटीज वाले किसी भी इंसान को डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकती है जिसमें जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकार महिलाएं भी शामिल हैं। जितने लंबे समय तक आपको डायबिटीज रहेगा, आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी का जोखिम उतना ही अधिक रहेगा। समय के साथ डायबिटीज के आधे से अधिक लोगों में डायबिटीज संबंधी रेटिनोपैथी विकसित हो सकती है। इस बीमारी से बचाव का सबसे बेहतरीन तरीका डायबिटीज को कंट्रोल करना है।

जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली शुगर से पीड़ित होती हैं उन्हें डायबिटीज से संबंधी रेटिनोपैथी होने का खतरा अधिक होता है। यदि आपको मधुमेह है और आप गर्भवती हैं, तो जितनी जल्दी हो सके आंखों की जांच कराएं।

डायबिटिक रेटिनोपैथी से कैसे बचाव करें

  • नॉन प्रो प्रोलिफ़ेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी जिसमें उपचार की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी आप नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
  • अगर आपको मैक्युलर एडिमा है, तो आपको जल्दी ही सर्जरी की आवश्यकता होगी।
  • डायबिटिक रेटिनोपैथी से बचाव करने के लिए आप अपनी ब्लड शुगर को कंट्रोल करें।
  • HbA1c test कराएं ताकि पिछले दो महीनों में होने वाली शुगर की स्थिति का पता लगाया जा सके।
  • डायबिटीज के जिन मरीजों को हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल की परेशानी हैं वो उसे नॉर्मल करें।
  • तंबाकू का सेवन करना बंद करें।