गर्मी का कहर बदस्तूर जारी है। उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित आस-पास के क्षेत्रों के लिए हीटवेव जारी रहने की सूचना दी है। मौसम विभाग ने कहा कि पश्चिम राजस्थान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश और गंगीय पश्चिम बंगाल में लू चलने की संभावना है। अगले तीन दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। उसी को ध्यान में रखते हुए, IMD ने ट्विटर पर लोगों को कुछ एहतियाती उपाय सुझाए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप लू से बचाव कर सकते हैं।

गर्मी में लू लगने से बेहद परेशानी होने लगती है। लू लगने पर बॉडी में डिहाइड्रेशन की परेशानी बढ़ने लगती है और बॉडी में पानी की कमी होने लगती है। इस स्थिति में पसीना आना बंद हो जाता है और बॉडी से गर्मी नहीं निकल पाती है। लू लगने पर बॉडी में क्रैम्प आते हैं और कमजोरी बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में बेहोशी और चक्कर आ सकते हैं।

शारदा अस्पताल, नोएडा की एमडी (इंटरनल मेडिसिन), डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव ने indianexpress.com को बताया कि हीटवेव की वजह से शारीरिक तनाव हो सकता है। अगर स्थिति को कंट्रोल नहीं किया जाए तो इंसान की मौत भी हो सकती है। अगर आप बुखार महसूस करते हैं,सिरदर्द, चक्कर आना, कमजोरी, मतली, या भटकाव महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

अपोलो हॉस्पिटल हैदराबाद के वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि कुछ बीमारियों में हीट वेव का असर और भी ज्यादा परेशान कर सकता है। माइग्रेन से पीड़ित लोगों को धूप के संपर्क में आने पर सिरदर्द की समस्या हो सकती है। किडनी या दिल की बीमारी वाले लोगों को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सुधीर कुमार ने बताया कि हीटस्ट्रोक गर्मी से जुड़ी सबसे गंभीर बीमारी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बुखार होता है और उसकी बॉडी में डिहाइड्रेशन रहता है। लू लगने पर मरीज की बॉडी का तापमान जल्द ही 106 F तक बढ़ सकता है। अगर समय पर इलाज शुरू नहीं किया गया तो दौरे, कोमा और यहां तक ​​कि मौत भी हो सकती है। लू लगने पर डॉक्टर के पास जाने से पहले अगर मरीज को कुछ प्राथमिक उपचार दिया जाए तो आसानी से उसकी जान को खतरे में जाने से बचाया जा सकता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि गर्मी में हीट वेव से कैसे बचाव करें।

हीटवेव का प्राथमिक उपचार ऐसे करें:

  • जिस भी इंसान में हीट वेव के लक्षण दिखें तो उसे ठंडी जगह पर ले जाएं और उसके कपड़ों को खोल दें।
  • मरीज को ठंडा रखने के लिए ठंडे पानी से नहलाएं।
  • स्किन को गीला रखें। मरीज़ को गीले कपड़े पहनाएं।
  • मरीज को ठंडी हवा में रखें।
  • सिर, गर्दन, बगल और कमर पर ठंडे गीले कपड़े या बर्फ रखें। या कपड़ों को ठंडे पानी से भिगो दें।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुसार, लू के प्रभाव को कम करने और गंभीर बीमारी या मृत्यु को रोकने के लिए इन बातों को अपनाएं।

  • गर्मी में हीट वेव से बचना चाहते हैं तो धूप में निकलने से बचें। हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनें। अपने सिर को कपड़े, टोपी या छाते से कवर करें।
  • प्यास न लगने पर भी पर्याप्त पानी पिएं। खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस, घर के बने ड्रिंक जैसे लस्सी, चावल का पानी,नींबू पानी,छाछ का सेवन करें।
  • प्यास नहीं लगने पर भी पर्याप्त पानी पिएं।
  • डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि मिर्गी या हृदय,किडनी या लीवर की बीमारी वाले व्यक्ति तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। बॉडी को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस और घर के बने ड्रिंक का उपयोग करें।
  • हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।
  • अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए धूप के चश्मे और स्किन की हिफ़ाज़त के लिए सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
  • बुजुर्गों, बच्चों, बीमारों या अधिक वजन वाले लोगों का विशेष ध्यान रखें क्योंकि उनके अत्यधिक गर्मी के शिकार होने की संभावना अधिक होती है।