भारत में एक खामोश लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या तेजी से बढ़ रही है, विटामिन B12 की कमी। ये कमी बाहर से तुरंत नजर नहीं आती, लेकिन लंबे समय तक अनदेखी करने पर यह नर्व डैमेज, एनीमिया और दिमागी समस्याओं तक का कारण बन सकती है। कई मेडिकल रिसर्च के अनुसार भारत की 31% से 78% आबादी विटामिन B12 की कमी से जूझ रही है। यह आंकड़ा खुद में इस बात का संकेत है कि यह समस्या अब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पब्लिक हेल्थ कंसर्न बन चुकी है। विटामिन B12 यानी कोबालामिन एक ऐसा पोषक तत्व है जिसे हमारा शरीर खुद नहीं बना सकता इसे डाइट से हासिल किया जा सकता है।
बॉडी में विटामिन बी 12 के कामों की बात करें तो ये यह कोशिकाओं के जेनेटिक मटीरियल DNA और RNA बनाने में मदद करता है। ये विटामिन नसों के ऊपर की परत ‘मायलिन शीथ’ को दुरुस्त रखता है और रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए भी जरूरी है। बॉडी में इस विटामिन की कमी से होमोसिस्टीन बढ़ जाता है, जो नसों और रक्त वाहिकाओं को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (NLM) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण भारत के शहरी इलाकों में रहने वाले 21 से 60 वर्ष की उम्र के करीब 44% लोग विटामिन B12 की कमी से प्रभावित हैं। आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी के मुताबिक ये समस्या सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि युवा, कामकाजी लोग और गर्भवती महिलाएं तेजी से इसकी चपेट में आ रही हैं। बॉडी में इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में नॉनवेज फूड्स शामिल करना सबसे असरदार तरीका माना जाता है। हफ्ते में 3-4 बार मछली या चिकन का सेवन करना, रोजाना 1 अंडा का सेवन करना और 1–2 बार महीने में पशु लिवर का सेवन करना जरूरी है।
ये विटामिन नेचुरल तरीके से एनिमल-बेस्ड फूड्स में ही पाया जाता है। शकाहारी लोगों में इस विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए कुछ खास फूड हैं जिनका सेवन करके आसानी से बी12 की भरपाई की जा सकती है। आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ऐसे फूड्स हैं जो बी 12 की कमी पूरा करते हैं।
दूध शाकाहारियों के लिए सबसे बड़ा स्रोत
दूध एक एनिमल-बेस्ड फूड है और बी-12 का भंडार है। एक गिलास दूध में लगभग 0.9 से 1 माइक्रोग्राम विटामिन B12 होता है। रोजाना दो गिलास दूध आपकी दैनिक आवश्यकता का काफी हिस्सा पूरा कर देता है।
भुना हुआ चना नसों की ताकत का पावर हाउस
चना न केवल प्रोटीन और फाइबर देता है, बल्कि इसमें मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व नसों की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं। भुना हुआ चना खाने से शरीर की थकान दूर होती है और मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है, जो विटामिन के अवशोषण (Absorption) में मदद करता है।
पालक खून और नसों के लिए अमृत
हालांकि पालक में सीधे तौर पर B12 नहीं होता, लेकिन इसमें फोलेट और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। विटामिन B12 और फोलेट मिलकर काम करते हैं। फोलेट की मौजूदगी के बिना B12 अपना काम ठीक से नहीं कर पाता। इसलिए पालक नसों की मरम्मत के लिए बेहद उपयोगी है।
स्प्राउट्स पोषण का कॉम्बो
अंकुरित अनाज जैसे मूंग, मोठ आदि में आयरन, विटामिन C और फोलिक एसिड भरपूर होता हैं। यदि आप फोर्टिफाइड स्प्राउट्स का सेवन करते हैं, तो यह नसों की कमजोरी दूर करने और एनीमिया को रोकने में जादुई असर दिखाता हैं।
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