तनाव आज हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। हम में से ज्यादातर लोग किसी न किसी समस्या से घिरे रहते हैं और लगातार उनके समाधान खोजने में अपनी मानसिक ऊर्जा खर्च करते रहते हैं। धीरे-धीरे यही तनाव हमारी मुस्कान छीन लेता है, बातचीत का आनंद खत्म कर देता है, खुशी को कम कर देता है और मूड को पूरी तरह बिगाड़ देता है। तनाव से निपटने के लिए दुनिया भर में लोग तरह-तरह के स्ट्रेस-रिड्यूसिंग प्रोग्राम अपनाते हैं। कोई तनाव नियंत्रित करने के लिए वर्कआउट और मेडिटेशन करता है, तो कोई इससे बाहर निकलने के लिए कुछ दिनों तक विपश्यना जैसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तनाव को कम करने का उपाय आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ही छिपा है? उठने-बैठने और दिन की शुरुआत से जुड़ी कुछ छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करके भी आप तनाव पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं।

हाल ही में आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. निमरजीत ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में तनाव यानी कॉर्टिसोल हॉर्मोन और सूजन (Inflammation) को नेचुरल तरीके से कंट्रोल करने का आसान घरेलू उपाय बताया हैं। पोस्ट में एक्सपर्ट ने तनाव कंट्रोल करने के लिए सुबह उठते ही कुछ तकनीकों को अपनाने की सलाह दी है। सुबह की कुछ आदतें आपको आसानी से तनाव से निजात दिला सकती हैं। आइए जानते हैं कि तनाव कंट्रोल करने के लिए कौन-कौन से असरदार उपाय एक्सपर्ट ने सुझाए हैं।

सुबह उठकर इन आदतों से करें तनाव कंट्रोल

दो मिनट करें ब्रीदिंग एक्सरसाइज

नारायणा अस्पताल, कोलकाता में कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. तोर्शा चटर्जी ने बताया कि गहरी और धीमी सांस लेना पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करती है, जो ‘फाइट-और-फ्लाइट’ यानी सिम्पेथेटिक प्रतिक्रिया के बिल्कुल उलट होता है और शरीर को आराम की अवस्था में ले जाता है। एक्सपर्ट ने बताया जब आप अपनी सांसों को धीमा करते हैं, तो यह दिमाग को संकेत देता है कि स्ट्रेस हार्मोन, खासकर कॉर्टिसोल का उत्पादन कम किया जाए।

नियमित अभ्यास से मन शांत रहता है और एंग्जायटी के अचानक बढ़ने की समस्या कम होती है। जैसे ही आप सुबह उठें, सिर्फ दो मिनट की ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। यह सांस लेने की एक सरल प्रक्रिया है, जो नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद करती है। गहरी और धीमी सांसें पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करती हैं, जिससे शरीर को आराम का संकेत मिलता है। नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है, मन शांत रहता है और दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ होती है।

कॉफी को स्किप करें,

सुबह उठते ही चाय या कॉफी पीने की आदत को बदलना सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। दिन की शुरुआत में सबसे पहले शरीर को हाइड्रेट करना जरूरी है। कॉफी से पहले गुनगुने नींबू पानी में थोड़ा सा समुद्री नमक मिलाकर पीने से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बना रहता है। इससे पाचन बेहतर होता है, ऊर्जा मिलती है और कॉफी का नकारात्मक असर भी कम होता है।

नाश्ता स्किप न करें, इन पोषक तत्वों को करें शामिल

सुबह का नाश्ता कभी भी स्किप नहीं करना चाहिए। बिस्तर से उठने के एक से डेढ़ घंटे के भीतर नाश्ता कर लेना शरीर के मेटाबॉलिज्म को सक्रिय करता है। नाश्ते में प्रोटीन, फैटी एसिड और फाइबर से भरपूर फूड्स शामिल करने से ब्लड शुगर संतुलित रहता है और लंबे समय तक ऊर्जा मिलती है। यह आदत तनाव हार्मोन को कंट्रोल करने, सूजन कम करने और दिनभर फोकस बनाए रखने में मदद करती है।

रोज़ EFT करें यानी इमोशनल फ्रीडम टेक्निक। (Emotional Freedom Technique)

आपके शरीर में कुछ सब-मेरिडियन पॉइंट्स होते हैं। जब आप उन पर टैपिंग करते हैं, तो शरीर सूजन को बाहर निकालने लगता है और एंडोर्फिन रिलीज़ होते हैं। खुद को आक्रामक वर्कआउट से सज़ा न दें, बल्कि ऐसे सोमैटिक वर्कआउट करें जो आपके सिस्टम को सुकून दें। EFT में शरीर के खास एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को उंगलियों से ‘टैप’ किया जाता है। इससे शरीर का नर्वस सिस्टम शांत होता है और कॉर्टिसोल यानी स्ट्रेस हार्मोन का स्तर तुरंत नीचे गिरता है।

सुबह बॉडी को हाइड्रेट करें

डॉ. चटर्जी ने बताया कि कॉफी एक प्राकृतिक डाइयूरेटिक है, यानी ये पेशाब की मात्रा बढ़ाती है और अगर ज्यादा मात्रा में बिना पानी पिए पेशाब करते हैं तो बॉडी में डिहाइड्रेशन हो सकता है। कॉफी से पहले और बाद में पानी पीने से कैफीन के डाइयूरेटिक असर को संतुलित किया जा सकता है और शरीर में सही हाइड्रेशन बना रहता है।गुनगुने नींबू पानी में थोड़ा सा समुद्री नमक मिलाने से हाइड्रेशन बेहतर होता है, इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई होती है और पाचन में भी मदद मिलती है। नींबू से पोटैशियम मिलता है, जबकि समुद्री नमक सोडियम देता है, जो एड्रिनल फंक्शन को स्थिर रखने और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है।

संतुलित भोजन है जरूरी

सुबह के नाश्ते में संतुलित आहार का सेवन करें। डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, हेल्दी फैट और फाइबर का कॉम्बिनेशन ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करता है और इंसुलिन के अचानक बढ़ने को नियंत्रित करता है, जिसका सीधा असर कॉर्टिसोल और सूजन पर पड़ता है। डाइट में प्रोटीन डोपामिन और सेरोटोनिन के निर्माण में मदद करता है, जिससे फोकस बेहतर होता है और भावनात्मक संतुलन बना रहता है। हेल्दी फैट्स जैसे ओमेगा-3 और मोनोअनसैचुरेटेड फैट सूजन को कम करते हैं। फाइबर आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को सपोर्ट करता है, जो शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFA) बनाते हैं और एंटी-इंफ्लेमेटरी असर डालते हैं। इन सभी पोषक तत्वों का संतुलित मिश्रण भोजन के बाद ब्लड शुगर में होने वाले उतार-चढ़ाव को कम करता है, जिससे सुबह के समय कॉर्टिसोल के दोबारा बढ़ने और थकान की समस्या से बचाव होता है।

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