काला मोतियाबिंद यानी ग्लोकोमा आंखों से जुड़ी एक सीरियस कंडीशन है। ये कंडीशन आमतौर पर 60 साल से ऊपर के लोगों में अधिक देखने को मिलती है, साथ ही बढ़ती उम्र के साथ आंखों की रोशनी जाने के अहम कारणों में से एक है। हमारी आंखों में ऑप्टिव नर्व होती है जो आंखों में बनने वाली इमेज को ब्रेन तक पहुंचाती है। वहीं, आंखों की पुतली के पीछे एक चैंबर होता है जिसमें एक तरल पदार्थ (Aqueous Humor) भरा होता है। Aqueous Humor आंखों की शेप को मेंटेन रखने का काम करता है। ये एक सीमित मात्रा में चैंबर में बनता और आंखों से निकलता रहता है। हालांकि, अगर किसी वजह से इसकी मात्रा बढ़ जाए या किसी कारण इसके निकलने में कोई रुकावट आ जाए, तो आंखों पर प्रेशर बढ़ने लगता है। ये ऑप्टिव नर्व को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे व्यक्ति को कुछ भी दिखाई देना बंद हो जाता है। इसे ही ग्लोकोमा या आम भाषा में काला मोतियाबिंद कहा जाता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक बार ग्लोकोमा के कारण अगर किसी व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली जाती है, तो उसे किसी भी दवाई या सर्जरी से वापस लाने के चांस ना के बराबर होते हैं। हालांकि, अगर शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पहचान लिया जाए, तो बेहतर उपचार के साथ इसे रोका जरूर जा सकता है। इसी कड़ी में इस लेख में हम आपको काला मोतियाबिंद के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं।

ये लक्षण दिखते ही हो जाएं सावधान-

चिंता की बात है कि 90 प्रतिशत लोगों में ग्लोकोमा के लक्षण पता ही नहीं चलते हैं। हालांकि, 10 प्रतिशत लोगों में इसके चलते साइड विजन में पैची ब्लाइंड स्पॉट होने लगते हैं। आसान भाषा में कहें तो रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले जैसे नजर आने लगते हैं। व्यक्ति की आंखों में अक्सर रेडनेस रहती है, धीरे-धीरे आंखों के सामने धुंधलापन छाने लगता है, आंखों और सिर में तेज दर्द महसूस होता है, सेंट्रल की चीजों को देखने में कठिनाई महसूस होती है। इन सब के साथ-साथ कई बार व्यक्ति को पेट में तेज दर्द और उल्टी-मलती जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।

बच्चों में ये लक्षण अलग तरह के हो सकते हैं। बच्चों में ग्लूकोमा के चलते क्लाउडी आईज, बार-बार पलक झपकना, बिना रोए आंसू निकलना, धुंधली दृष्टि या सिर दर्द जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे में इस तरह की समस्या दिखने पर बिना अधिक देरी किए तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

किन लोगों को है अधिक खतरा?

बता दें कि ये गंभीर विकार किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। ये आनुवंशिक हो सकता है, थायरॉइड, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों में ग्लोकोमा होने के चांसेज ज्यादा होते हैं, हाई माइनस में चश्मे का नंबर हो, तो भी ग्लोकोमा होने के चांस बढ़ जाते हैं। इन सब के अलावा लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल या आंख में किसी प्रकार की सर्जरी भी आगे चलकर काला मोतियाबिंद का कारण बन सकती है।

Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें।