Risk Factors of Diabetes: 2021 में हुई एक स्टडी के अनुसार शहर और मेट्रोपॉलिटन इलाकों में रहने वाले भारतीयों में डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में लोगों की जीवन शैली बेहद खराब हो चुकी है जिससे व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) बढ़ जाता है।

देश में डायबिटीज के 77 मिलियन से भी अधिक मरीज हैं। शोधकर्ता ये अनुमान लगाते हैं कि मधुमेह रोगियों की संख्या 2045 तक बढ़कर करीब 134 मिलियन हो सकती है। वहीं, एक्सपर्ट्स की मानें तो पुरुषों से अधिक महिलाओं को इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा रहता है। इसके अलावा दूसरे भी कई प्रमुख कारक होते हैं जो डायबिटीज का रिस्क बढ़ाते हैं।

मोटापा: जो लोग अधिक वजन से परेशान होते हैं उनमें मधुमेह विकसित होने का खतरा भी बढ़ता है। इन लोगों के शरीर में एडिपोस टिश्यू की अधिकता हो जाती है जिससे इंफ्लेमेट्री प्रोटीन, हार्मोन और दूसरे मॉलीक्यूल्स रिलीज होते हैं जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस की परेशानी देखने को मिलती है। ऐसे में डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

धूम्रपान: स्मोकिंग से लोगों में इंसुलिन रेसिस्टेंस की परेशानी हो सकती है। स्टडी के अनुसार जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें 30 से 40 फीसदी डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ता है। बता दें कि निकोटीन शुगर लेवल बढ़ाता है, वहीं ज्यादा स्मोकिंग से इंसुलिन की आवश्यकता भी अधिक होती है।

फिजिकल एक्टिविटी की कमी: इंसुलिन रेसिस्टेंस और इंफ्लेमेशन को कम करने में व्यायाम करना महत्वपूर्ण होता है। 2017 के एक अध्ययन के मुताबिक हर तरह के व्यायाम खासकर एरोबिक और रेसिस्टेंस ट्रेनिंग करने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां: डायबिटीज से ग्रस्त मरीजों को एक या अन्य मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। अगर समय से इलाज न हो तो एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं मरीजों की स्थिति को गंभीर बना सकती है।

जब लोग परेशान या घबराए हुए होते हैं तो ज्यादा खाते हैं और वर्क आउट कम करते हैं जिससे ब्लड शुगर बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है। साथ ही, स्ट्रेस हार्मोन भी रक्त शर्करा के स्तर को गलत तरीके से प्रभावित करते हैं।

पारिवारिक इतिहास: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब व्यक्ति के अभिभावक या भाई-बहन को टाइप 2 डायबिटीज की परेशानी है तो उनमें इस बीमारी का खतरा अधिक हो जाता है।