डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। अगर डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया जाए तो ये हार्ट, लंग्स, किडनी, आंखों और पैरों को नुकसान पहुंचाने लगती है। हर मौसम में डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर नॉर्मल रखना जरूरी है। डायबिटीज मरीजों को बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। बरसात में डायबिटीज मरीजों के लिए ब्लड शुगर को नॉर्मल करना बेहद जरूरी है वरना डायबिटीज न्यूरोपैथी का खतरा बढ़ने लगता है।  शुगर कंट्रोल करने के लिए बॉडी को एक्टिव रखना, डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना और बारिश के पानी से बचाव करना बेहद जरूरी है। इस मौसम में अगर ब्लड शुगर को नॉर्मल नहीं किया जाए तो फुट अल्सर हो सकता है। इस मौसम में बारिश का पानी पैरों में इंफेक्शन का कारण बन सकता है।

कैलाश हॉस्पिटल नोएडा में इंटरनल मेडिसिन में डॉ. संजय महाजन ने बताया मानसून का मौसम फ्लू और पानी से होने वाली बीमारियों जैसे इंफेक्शन का कारण बन सकता है। यह स्थिति डायबिटीज मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।

न्यूरोपैथी और खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण पैरों में अल्सर हो सकता है। पैरों का अल्सर खुले घाव होते हैं जो धीमी गति से ठीक होते हैं और उनसे संक्रमण का खतरा अधिक होता है। बरसात में पैरों की देखभाल करना और ब्लड शुगर को कंट्रोल करना जरूरी है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि बरसात में पैरों में इंफेक्शन होने के लिए कौन से चार कारण जिम्मेदार हैं और इस स्थिति से कैसे बचाव किया जा सकता है।

बरसात में पैरों में इंफेक्शन का कारण

  • बरसात के समय नमी अधिक होती है, जिससे पैरों की स्किन कमजोर हो जाती है और छोटे-छोटे घाव आसानी से इंफेक्शन हो सकता हैं।
  • बरसात में पैर ज्यादा समय तक गीले पानी में रहते हैं तो स्किन कमजोर होकर फट सकती है, जिससे अल्सर होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • डायबिटीज में ब्लड सर्कुलेशन कमजोर होता है, जिससे चोट या घाव जल्दी ठीक नहीं होते और इंफेक्शन फैलने की संभावना ज्यादा होती है।
  • डायबिटीज के कारण पैरों में संवेदना कम हो जाती है जिससे मरीज को छोटे घाव या चोट का पता नहीं चलता और वो ठीक से इलाज नहीं कर पाता।

बरसात में डायबिटीज मरीज पैरों की देखभाल कैसे करें

  • बरसात के मौसम में डायबिटीज मरीज पैरों का खास ध्यान रखें।  गीलेपन से फंगल इन्फेक्शन या पैरों में चोट का खतरा हो सकता है ऐसे में पैरों का बचाव करने के लिए  बारिश से आने के बाद पैरों को अच्छे से सुखाएं।
  • जूते और मोजे गीले होने पर तुरंत उन्हें निकाल दें और पैरों को सुखाएं।
  • नंगे पैर चलने या गड्ढों में भरे पानी में चलने से बचें।
  • बंद और आरामदायक जूते पहनें जो पैरों को सूखा और साफ रखें ताकि फंगल इन्फेक्शन नहीं हो।
  • रोजाना पैरों की अच्छी जांच करें। अगर पैरों में घाव हो तो तुरंत इलाज शुरू करें।
  • पैरों की त्वचा को नमी युक्त रखने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए लोशन का इस्तेमाल करें, लेकिन पैरों के बीच के हिस्से में मॉइस्चराइजर न लगाएं क्योंकि वहां नमी बढ़ सकती है।

यह पत्तियां ही नहीं इनके बीज भी हैं अमृत, कुछ दाने खाने से करते हैं दवा का काम, बॉडी की कमजोरी हो जाएगी दूर और मिलेंगे 4 फायदे, पूरी जानकारी हासिल करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।