Diabetes: भारतीयों में लगातार डायबिटीज का खतरा बढ़ता जा रहा है। बच्चों से लेकर वयस्क और बूढ़े तक में यह समस्या आम हो चली है। एक डेटा के अनुसार 25 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक 4 में से 1 भारतीय टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित है। वहीं भारत में लगभग 97 हजार बच्चे टाइप-1 डायबिटीज के शिकार हैं। बता दें टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर काफी बढ़ जाता है। ऐसे मरीजों को अधिक प्यास और बार-बार पेशाब लगता है। इस दौरान शरीर इंसुलिन का सही तरीके से प्रयोग नहीं कर पता है। ऐसे में रोगी को इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि टाइप-2 डाइबिटीज के रोगियों को निरंतर चेकअप और डॉक्टर्स के टच में रहना चाहिए लेकिन कुछ चीजों पर ध्यान देकर काफी हद तक इस पर काबू पा सकते हैं।

इन संकेतों को गंभीरता से लें-
-अगर बच्चा पेट में दर्द होने की बार-बार शिकायत करता हो
-साथ ही उल्टी आती हो
-सिर दर्द की शिकायत करता हो
-और बार-बार पेशाब जाता हो
– थकान महसूस करता हो, इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ये सभी लक्षण डायबिटीज की तरफ इशारा करते हैं।

डॉक्टर्स के मुताबिक डायबिटीज काफी हद तक जीन से प्रभावित होता है। माता-पिता को डायबीटीज रहता है तो उनके बच्चों को टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। वहीं खराब जीवनशैली डायबिटीज के लिए हाई रिस्क फैक्टर है। बता दें कि बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज को टाला जा सकता है। इसके लिए उनको हेल्दी डाइट दें। समय से हेल्दी फूड लेने से बच्चों को काफी फायदा होता है। डॉक्टर्स की मानें तो बच्चों को कई तरह का खाना दिया जाना चाहिए, जिसमें हेल्दी फैट, साबुत अनाज और लो-फैट डेयरी काफी फायदेमंद होते हैं।

इनसे करें परहेज-
ज्यादा शुगरयुक्त ड्रिंक्स लेने से बचें और साथ ही प्रोसेस्ड फूड, रिफाइंड सिरिल्स का इस्तेमाल ना के बराबर करें। इस दौरान ताजे फल, सब्जियों और मिक्सड फलों का जूस ज्यादा प्रयोग में लाएं। वहीं बच्चे के लिए हमेशा हेल्दी फूड का ऑप्शन रखें।