हामारी के कारण पैदा हुई समस्याओं और सीमित संसाधनों के बीच बच्चों के जीवन को बचाते हुए उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। इसमें घर के बड़ों की भूमिका अहम है। सबसे पहले बच्चों की दिनचर्या को निर्धारित करने के लिए एक रूटीन बनाने की जरूरत है। जिसमें उनके सोने-जागने, पढ़ने-लिखने, खेलने, टीवी देखने, मोबाइल और कंप्यूटर के उपयोग आदि के लिए समय का तय हो।
बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने, उन्हें घर का काम सिखाने, नृत्य-संगीत, योग और उनकीपसंद का अन्य काम सिखाकर उन्हें हुनरमंद बनाने के बेहतरीन मौके के रूप में इस समय का रचनात्मक उपयोग किया जा सकता है। इससे बच्चे व्यस्त होने के साथ ही माता-पिता के साथ समय बिताकर खुश भी होंगे और शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भी।
इस दौरान बच्चों में किताबें पढ़ने और अन्य सृजनात्मक आदतें डालकर उन्हें मोबाइल फोन और कंप्यूटर की लत से भी दूर किया जा सकता है। बच्चों के खानपान पर पर्याप्त ध्यान देने के अलावा घर में सकारात्मक माहौल बनाने की भी जरूरत है। इससे उनके अंदर उपजे कोरोना का भय भी दूर होगा।