शरीर के लिए प्रोटीन का निर्माण की हो या फिर विषैले पदार्थों को दूर करने से लेकर खाना पचाने, ऊर्जा का संचयन करने, पित्त बनाने और कार्बोहाइड्रेट को स्टोर करना यह सभी काम लिवर ही करता है। फैटी लिवर की समस्या मुख्य रूप से दो प्रकार से होती है; 1- एल्कोहल फैटी लिवर 2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) उन लोगों में ज्यादा होती है जो बिलकुल भी शराब का सेवन नहीं करते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि ये समस्या आपको अचानक हो जाती है बल्कि आपका खराब खान-पान और खराब जीवनशैली इस समस्या के पीछे का कारण होती है।
ख़राब जीवनशैली: वर्तमान समय में खराब खानपान, मोटापा, कोई फिजिकल एक्टिविटी ना करना और अव्यवस्थित जीवनशैली के कारण फैटी लिवर के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है। फैटी लिवर एक ऐसी समस्या है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के लिवर का आकार बढ़ जाता है और उसे खाने को पचाने में दिक्कत महसूस होने लगती है। इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने लगता है।
समय पर इलाज न करवाने के कारण आपका लिवर पूर्ण रूप से डैमेज हो सकता है, जिसे लिवर सिरॉसिस भी कहते हैं। ये स्थिति आगे जाकर कैंसर का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं जब आपका लिवर 75 फीसदी तक खराब हो जाता है तो आपके शरीर में कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं।
फैटी लिवर के लक्षण: फैटी लिवर के मरीजों को अधिक थकान, पेट में सूजन, शरीर में अत्यधिक थकान, स्किन और आंखों पर नीलापन, पेट के दाईं तरफ ऊपरी हिस्से में दर्द, हथेलियों का लाल होना, स्पाइडर वेन्स, आंखों का पीलापन, स्किन पर खुजली और रैशेज और वजन कम होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इनसे करें परहेज: फैटी लिवर के मरीजों को अधिक तेल-मसालेदार चीजों के सेवन से बचना चाहिए। अधिक शुगर के सेवन से लिवर में फैट बढ़ने लगता है। डिब्बा बंद फ्रूट जूस, कैंडी, आइसक्रीम, मिठाइयों के अधिक सेवन से बचें। इसके अलावा घी, मक्खन, मलाईदार दूध पीने के साथ उन चीजों को डाइट से निकाल दें, जिनमें फैट, कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। यदि आप अधिक शराब का सेवन करते हैं, तो लिवर डिजीज में यह आपके लिए जहर के समान हो सकता है।