किसी भी व्यक्ति के लिवर में वसा की मात्रा बहुत कम या नगण्य होती है, लेकिन जब लिवर की कोशिकाओं में चर्बी जमा होने लगती है तो धीरे-धीरे लिवर में सूजन आ जाती है। इससे फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। जब किसी को फैटी लिवर की समस्या होती है तो शरीर में कैलोरी की मात्रा फैट में बदल जाती है और लिवर की कोशिकाओं में जमा हो जाती है। इससे लिवर में सूजन बढ़ने लगती है। अगर फैटी लिवर की समस्या ज्यादा गंभीर हो तो लिवर खराब होने का भी खतरा रहता है।
आपको बता दें कि जब शरीर में फैट की मात्रा लिवर के वजन से 10% बढ़ जाती है तो ऐसे में लिवर फैटी लिवर में बदल जाता है। यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि कई बार लोगों को फैटी लिवर की समस्या के बारे में देर से पता चलता है। ऐसे में बचाव करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपके लिए फैटी लिवर के बारे में जानना जरूरी है। आइए जानते हैं फैटी लिवर कितने प्रकार के होते हैं? फैटी लिवर के लक्षण क्या हैं और फैटी लिवर को कैसे रोका जा सकता है?
फैटी लिवर के लक्षण
वैसे तो शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ समस्याओं के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि फैटी लिवर की बीमारी है या नहीं। जानिए क्या हैं फैटी लिवर के लक्षण-
- बार-बार उल्टी जैसा महसूस होना।
- भूख बिल्कुल न लगना।
- खाना ठीक से पच नहीं पाता है।
- बार-बार थकान महसूस होना।
- अचानक कमजोरी महसूस होना।
- वजन कम होना।
- पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन।
फैटी लिवर कितने प्रकार के होते हैं?
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर: एल्कोहॉलिक फैटी लिवर ज्यादा मात्रा में शराब पीने से होता है। इससे लिवर में चर्बी जमा होने लगती है और लिवर में सूजन आ जाती है। जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं उन्हें फैटी लिवर की समस्या होने लगती है।
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर से कैसे बचें: जो व्यक्ति एल्कोहॉलिक लिवर की समस्या से ग्रसित है, उसे 6 सप्ताह तक शराब नहीं पीनी चाहिए। इससे लिवर की सूजन कम होने लगती है और इसका एक ही उपाय है कि शराब का त्याग कर दें।
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर: नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर ज्यादातर खाने-पीने की वजह से होता है। ऑयली खाना खाने या बाहर का ज्यादा खाना खाने से कुछ ऐसे तत्व शरीर में शामिल हो जाते हैं, जिनका सीधा असर आपके वजन पर पड़ता है। मोटापा बढ़ने या मधुमेह होने के कारण व्यक्ति को फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। यह अक्सर एक प्रकार का भोजन लंबे समय तक खाने के कारण भी होता है। इस बात का ध्यान रखें कि एक ही तरह का खाना ज्यादा देर तक न खाएं।
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर से कैसे बचें: इस समस्या से बचने के लिए खान-पान में बदलाव कर खाएं। ज्यादा तला भुना न खाएं ताकि मोटापा न हो। फिट रहने के लिए एक्सरसाइज करते रहें।
फैटी लिवर की समस्या क्यों होती है?
सबसे महत्वपूर्ण दो कारण हैं, एक बहुत अधिक शराब पीना और दूसरा खाने-पीने का ध्यान न रखना। खैर, इन कारणों के बावजूद और भी कई कारण हैं जो फैटी लिवर की समस्या का कारण बन सकते हैं। जानना।
- अधिक मिर्च-मसाला खाना
- टाइप-2 मधुमेह
- अधिक वजन होना
- खून में चर्बी का बढ़ना
- उच्च कोलेस्ट्रॉल होना
- मेटाबॉलिज्म में कमी
- आनुवंशिक कारण
फैटी लिवर होने से कैसे रोकें?
दवाओं के अलावा कुछ घरेलू तरीके भी हैं जिनसे आप फैटी लिवर से बचाव कर सकते हैं। खुद को फिट रखने और फैटी लिवर से बचने के लिए आप इन घरेलू उपायों को अपना सकते हैं।
- नारियल पानी, दाल, दाल का पानी और छाछ खूब पिएं।
- रोजाना व्यायाम करें, भले ही कम हो लेकिन व्यायाम करना न भूलें।
- लहसुन खाएं, सभी सब्जियों में लहसुन का प्रयोग करें।
- रात के 9 बजे से पहले खाना खा लें, देर रात तक न खाएं।
- शराब, धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ दें।
- किसी भी भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाएं।
- वसा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ कम खाएं।
- ब्रोकली, मछली, एवोकाडो का अधिक से अधिक सेवन करें।