दूब घास बड़ी ही आसानी से पाई जाने वाली वनस्पति है। हिंदू संस्कृति में इसे बहुत पवित्र माना जाता है। पूजा-पाठ के दौरान देवों को दुर्वा यानी कि दूब चढ़ाए जाने की पद्धति काफी प्रचलित है। दूब का धार्मिक महत्व होने के अलावा इसके चिकित्सकीय गुण भी इसे काफी महत्वपूर्ण बनाते हैं। आयुर्वेद के विख्यात आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दूब के रस का नियमित सेवन करने से गर्भवती महिलाओं में ल्यूकोरिया तथा गर्भपात होने की संभावना निश्चित रूप से खत्म हो जाती है। आज हम दूब के सेवन से होने वाले इसी तरह के कई स्वास्थ्यलाभ के बारे में बात करेंगे।
जिन महिलाओं को लिकोरिया की शिकायत होती है उनके लिए दूब घास काफी फायदेमंद होता है। इसके प्रयोग के लिए सबसे पहले दूब घास को पीसकर चार-पांच चम्मच रस निकाल लीजिए। दूब के इस रस का प्रतिदिन सुबह सेवन करने से लिकोरिया तथा इससे संबंधित कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। गर्भपात रोकने में भी दुर्वा यानी कि दूब बहुत ही लाभकारी औषधि है। जिन महिलाओं को गर्भ के दौरान अधिक रक्तस्राव हो गया हो या फिर गर्भपात की संभावना बढ़ गई हो उन्हें भी दूब के रस का सेवन करना काफी लाभकारी होता है। ऐसी महिलाएं दूब के रस में मिश्री मिलाकर 4-5 चम्मच नियमित रूप से दिन में दो से तीन बार लेना शुरू कर दें चो इससे न सिर्फ रक्तस्राव से राहत मिलेगी बल्कि गर्भपात की संभावना भी लगभग समाप्त हो जाएगी।
इसके अलावा भी दूब के कई सारे लाभ हैं। त्वचा संबंधी रोगों में भी दूब काफी लाभकारी है। यह एंटी-सेप्टिक गुणों का भंडार होता है। खाज-खुजली, एक्जिमा, कुष्ठ रोग आदि बीमारियों में दूब चमत्कारिक लाभ देता है। हरी दूब घास को हल्दी के साथ पीसकर उसका पेस्ट त्वचा पर लगाने से हर तरह की त्वचा समस्याओं का निदान हो जाता है। दूब के रस का सेवन एनीमिया को दूर करने में भी किया जाता है। यह रक्त को शुद्ध करने का काम भी करता है। मानसिक बीमारियां जैसे – मिर्गी, हिस्टीरिया आदि दूब के ताजा रस के सेवन से काफी हद तक दूर हो जाती हैं। इसके अलावा यह अल्सर रोकने में, डायबिटीज कंट्रोल करने में और सर्दी-खांसी की समस्या को भी दूर करने में काफी लाभकारी है।