शहद एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है। शहद में विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट, राइबोफ्लेविन, नायसिन, विटामिन बी-6, विटामिन सी और एमिनो एसिड समेत कई तरह के पौषक तत्व मौजूद होते हैं। जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकते हैं। हजारों वर्षों से शहद का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धित में किया जा रहा है। हालांकि, शहद को लेकर कई ऐसे भ्रम और मिथक बातें फैली हुई हैं, जिनका आयुर्वेद भी खंडन करता है।
अक्सर लोग गर्म पानी के साथ शहद का सेवन करते हैं। लोगों का मानना है कि इससे वजन कम होता है। लेकिन ऐसा नहीं है। आयुर्वेद के मुताबिक शहद और गर्म पानी के सेवन से कई खतरनाक और जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद में शहद को गर्म करना विरूद्ध आहार माना गया है। विरूद्ध आहार का सेवन करने से अनेकों बीमारियां हो सकती हैं।
आयुर्वेद में सिर्फ इतना कहा गया है कि शहद को पानी में मिलाकर लें। ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि गर्म पानी में मिलाकर लें। बल्कि यह जरूर कहा गया है कि शहद को गर्म ना करें। आचार्य चरक और वागभट ने इसका वर्णन किया है। आचार्य वागभट ने अष्टांग हृदय सूत्र स्थान के आठवें अध्याय के 48वें श्लोक में कहा है, “स्थूल (मोटे) व्यक्ति को कृश (पतला) करने के लिए मधु मिला हुआ जल पीने के लिए दें।” यहां पर कहीं भी गर्म जल का जिक्र नहीं किया गया है। अगर आप शहद को गर्म पानी में डालकर लेते हैं, तो इससे शहद भी गर्म हो जाता है।
आचार्य वागभट ने इस बात का जिक्र अष्टांग हृदय सूत्र स्थान के 5वें अध्याय के 43वें श्लोक में कहा है कि उष्ण (गर्म) शहद का सेवन ना करें। क्योंकि यह विरूद्ध आहार है। विरूद्ध आहार के सेवन से नपुंसकता, अंधापन, विसर्प, उन्माद, भगन्दर, मूर्च्छा, मदरोग, आध्मान, गले के रोग, एनीमिया, गुमहैजा, विसचिका, सफेद दाग, दाग, ग्रहणीरोग, रोष, पित्त उछलना, बुखार और सन्तानदोष आदि हो सकते हैं। साथ ही यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
इसके अलावा विरूद्ध आहार का जिक्र करते हुए आयुर्वेद में आचार्यों ने इस बात का जिक्र किया है कि शहद और घी को समान मात्रा में नहीं लेना चाहिए। क्योंकि इससे तत्काल मृत्यु भी हो सकती है।