World Cancer Day 2020 Date, Theme, Logo, Quotes, Poster: कैंसर एक वैश्विक महामारी बन गई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2020 तक कैंसर से मरने वालों की संख्या तकरीबन 8 लाख हो जाएगी। लोगों को कैंसर के प्रति अधिक जागरुक और सतर्क रहने की जरूरत है। कई बार कैंसर से बचाव के लिए लोग इससे जुड़े मिथकों को भी सच मान लेते हैं, इनमें से ही कुछ मिथक यहां बताए गए हैं। कई लोगों को ऐसा भी लगता है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कैंसर का कारण बन सकता है।

प्लास्टिक का उपयोग: प्लास्टिक में बिस्फेनॉल ए (BPA) पाया जाता है, जिससे कई लोगों को लगता है कि प्लास्टिक के बर्तनों में खाने-पीने से वो केमिकल हमारे शरीर में चले जाएंगे और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाएगा। हालांकि, रिसर्च यूके में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक बोतलें, बर्तन या थैली के इस्तेमाल से शरीर में कैंसर कारक तत्व नहीं बनते हैं। यूके की फूड स्टैंडर्ड एजेंसी के अनुसार खाने-पीने के लिए इस्तेमाल किया गया प्लास्टिक सुरक्षित होता है।

आर्टिफिशियल स्वीटनर: नैशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार आर्टिफिशियल स्वीटनर के सुरक्षित होने पर एक शोध किया गया था। इस शोध में आर्टिफिशियल स्वीटनर के कैंसर कारक होने के कोई सबूत नहीं मिले। हालांकि, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कई जगहों इनमें से एक स्वीटनर, साइक्लामेट पर बैन लगा रखा है।

मोबाइल फोन से कैंसर होता है: अब तक हुए सभी शोधों में मोबाइल फोन के कैंसर कारक होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार कैंसर जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic Mutation) के कारण होते हैं और जहां तक मोबाइल फोन की बात है तो इनमें से लो-फ्रीक्यूंसी एनर्जी निकलती है जो हमारी जीन्स को डैमेज नहीं करती।

हेयर डायर का इस्तेमाल: कई लोग जवान और खूबसूरत दिखने के लिए हेयर डायर्स का इस्तेमाल करते हैं। पर उनमें मौजूद केमिकल्स कैंसर कारक हैं या नहीं, इस बात को लेकर आशंकित भी रहते हैं। हेयर डायर का इस्तेमाल करने से कैंसर होने को लेकर अब तक कोई भी संतोषजनक सबूत नहीं मिल पाया है। हालांकि, बाहर जाकर नाई से बाल कटवाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि वहां कई लोग आते हैं।

डियोडरेंट से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा: महिलाओं को अक्सर इस बात की शंका रहती है कि परफ्यूम या डियोडरेंट लगाने से उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो जाएगा। अंडर आर्म्स में लगाए जाने वाले इन डियोडरेंट्स में एक एल्यूमिनियम आधारित तत्व होता है जो पसीने को स्किन पर आने से रोकता है। कई वैज्ञानिकों के अनुसार इस तत्व के शरीर में जाने से एस्ट्रोजेन हार्मोन बनते हैं जो कैंसर कारक होते हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी शोध में ये बात साबित नहीं हो पाई है। 2002 की एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि डियोडरेंट और ब्लेड वाले रेजर का इस्तेमाल करने से महिलाओं में कैंसर होने का अधिक खतरा नहीं होता।

सकारात्मक लोगों को कैंसर नहीं होता: बहुत सारे शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि हमारी मानसिक स्थिति शरीर में कैंसर कारक तत्व नहीं पैदा करती। एक इंसान हर समय सकारात्मक रह सके, ये जरूरी नहीं है। तनाव कई बीमारियों के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं लेकिन कैंसर तनाव लेने से नहीं होता। हालांकि, तनाव की स्थिति में किए गए कार्य जैसे धूम्रपान, शराब पीना कैंसर को बुलावा दे सकते हैं।