Kidney Infection: मूत्रनली का संक्रमण (यूटीआई) एक बहुत आम समस्या है, जिससे भारत में हर साल 10 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। यूटीआई करने वाले पैथोजन तेजी से गुणित होकर शरीर के दूसरे हिस्सों, जैसे किडनी में पहुंचकर किडनी का संक्रमण कर सकते हैं। शरीर के दूसरे हिस्सों से बैक्टीरियल संक्रमण भी किडनी में पहुंचकर संक्रमण कर सकता है।

भारत में हर साल 1 मिलियन से ज्यादा लोग किडनी संक्रमण का शिकार होते हैं। मानव शरीर में मूत्र प्रणाली किडनी, मूत्राशय, और मूत्र नली से मिलकर बनी होती है। UTI में किडनी का संक्रमण भी शामिल हो सकता है। शुरुआती चरण में UTI का इलाज स्वच्छता की विधियों का पालन कर और एंटीबायोटिक्स से किया जा सकता है पर किडनी का संक्रमण होने पर मानव स्वास्थ्य को ज्यादा बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं-

गुरुग्राम के मणिपाल अस्पताल के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित तिवारी ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि यदि समय पर इलाज न कराया जाए, तो किडनी के संक्रमण से किडनी में घाव और दोष उत्पन्न हो सकता है और किडनी खराब भी हो सकती है। यह संक्रमण खून में पहुंचने पर खून में विषैलापन उत्पन्न कर सकता है, जिसे सेप्सिस कहते हैं। सेप्सिस से ब्लड प्रेशर बहुत नीचे आ जाता है और अंग खराब होने के साथ मृत्यु भी हो सकती है।

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किडनी के संक्रमण का कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकती है, जिसके कारण शरीर संक्रमण करने वाले पैथोजंस से लड़ने में असमर्थ होता है। किडनी संक्रमण का जोखिम बढ़ाने वाले अन्य कारणों में डायबिटीज़, किडनी में पथरी, असुरक्षित यौन गतिविधि, मूत्र नली के विकार, गर्भनिरोधक दवाईयों के साईड इफेक्ट, मेनोपॉज़, और डिहाईड्रेशन हैं। संक्रमण का शिकार होना कष्टप्रद और असुविधाजनक होता है।

यूटीआई के लक्षण

  • पेशाब करते हुए जलन महसूस होना
  • बार-बार पेशाब लगना और उसे रोकना मुश्किल होना
  • रात में पेशाब करने के लिए उठना
  • पेशाब करते वक्त दर्द महसूस होना
  • पेट में दर्द होना
  • पेशाब में खराब बदबू आना
  • पेशाब में खून आना

इनके साथ यदि मरीज को पेट में बेचैनी, मितली, बुखार और कंपकंपी महसूस हो, तो इसका मतलब है कि संक्रमण मूत्राशय से बढ़कर किडनी में पहुंच गया है। किडनी में खून का बहाव तेज होता है, जिस वजह से संक्रमण शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। 

डॉ. अमित तिवारी ने बताया, “किडनी संक्रमण का निदान मूत्र के सैंपल से होता है। डॉक्टर बैक्टीरिया, खून या मवाद जैसे पदार्थों के होने की जांच करता है। व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या और उत्तेजक पदार्थों जैसे सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), एरिथ्रोसाईट सेडिमेंटेशन रेट (ESR के परीक्षण के लिए खून की जांच भी की जा सकती है। गंभीर मामलों के लिए पेट या पेल्विस का सीटी स्कैन किया जा सकता है, ताकि ट्यूमर, घाव और किडनी में पथरी की पहचान हो सके।”

डॉक्टर तिवारी के मुताबिक निदान होने के बाद शुरुआती चरण में इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स का कोर्स दिया जाता है। इलाज की अवधि और प्रकार मुख्यतः संक्रमण के कारण और पाए गए बैक्टीरिया के प्रकार पर आश्रित हैं। UTI संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति को ठीक होने के बाद फिर से संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है, इसलिए किडनी संक्रमण जैसी गंभीर बीमारी के लिए इलाज से बेहतर रोकथाम है। उचित देखभाल और सावधानी के साथ किडनी के संक्रमण का इलाज प्रभावशाली तरीके से किया जा सकता है और भविष्य में इसे दोबारा होने से रोका जा सकता है।

UTI और किडनी संक्रमणों को रोकने के उपाय

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि विषैले तत्व पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाएंगे।
  • पेशाब को ज्यादा लंबा न रोकें। पेशाब को रोककर रखने से शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि और प्रसार बढ़ता है।
  • स्वच्छता बनाए रखें, गंदे टॉयलेट का उपयोग न करें।
  • अंत में प्रोबायोटिक्स लेकर आंतों में अच्छे बैक्टीरिया बनाने में मदद मिलती है, जो बैक्टीरियल संक्रमण को रोकते हैं।

डॉ. अमित तिवारी के मुताबिक किडनी के संक्रमणों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए तुरंत कार्रवाई और समय पर निदान जरूरी है। पेशाब बार-बार लगने और पेशाब करने में दर्द होने जैसे लक्षणों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। यदि इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।