High Blood Pressure: हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हाइपरटेंशन की परेशानी उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जो तनाव ज्यादा लेते हैं या फिर जिनकी लाइफस्टाइल खराब हो। अधिकांशतः उच्च रक्तचाप के कोई भी लक्षण शरीर में दिखाई नहीं देते हैं इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते हैं। यही वजह है कि लंबे समय तक लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि वो उच्च रक्तचाप के मरीज हैं।

बता दें कि बीपी का सामान्य स्तर 120/80 mm Hg में 120 सिस्टोलिक वैल्यू और 80 डायस्टोलिक नंबर होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मरीज इस स्वास्थ्य परेशानी को हल्के में लेते हैं तो उनकी हालत जानलेवा भी हो सकती है। कई बार हाई बीपी के अनदेखा होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। आइए जानते हैं विस्तार से –

बढ़ जाती हैं कॉम्प्लिकेशंस: कंसल्टेंट फिजिशियन इंटेंसिविस्ट डॉ. अमरेंद्र कुमार झा बताते हैं कि जिस तरह से लोगों में ब्लड प्रेशर की परेशानी बढ़ी है, उनमें इससे होने वाले नुकसानों में भी वृद्धि हुई है। हाई बीपी की एक्यूट जटिलताओं में दिल का दौरा (Myocardial ischemia), स्ट्रोक (Falis) और दिमाग में खून का थक्का (Intracranial Bleed) जमने लगता है।

इन जटिलताओं की कैसे करें पहचान: डॉ. अमरेंद्र के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने पर छाती के बाएं हिस्से में असहनीय दर्द, भारीपन महसूस होता है। ये दर्द बाएं हाथ और पीठ तक पहुंचता है। चलने पर ये तकलीफ और भी तीव्र हो जाती है। इस परेशानी में लोगों को अधिक पसीना आता है और घबराहट होती है।

स्ट्रोक: एक्सपर्ट बताते हैं कि स्ट्रोक की वजह से मरीजों के शरीर का एक तरफ का भाग (हाथ-पैर) कमजोर हो जाते हैं। साथ ही, मुंह का एंगल टेढ़ा हो जाता है और मरीज बोलते समय लड़खड़ाने लगता है।

दिमाग में ब्लीडिंग: डॉ. अमरेंद्र के मुताबिक जब ब्लड प्रेशर का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है तो दिमाग की नसें फट जाती हैं। इस वजह से प्रभावित जगह पर ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसे में मरीज को असहनीय सिर में दर्द और उल्टी आने लगती है।

क्या हैं बचाव के उपाय: विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को रिलैक्स करने के लिए बोलें। साथ ही, खून पतला करने वाली दवाई जैसे इकोस्पिरिन की 75 मिलीग्राम वाली चार गोलियां खिलाएं। इसके अलावा, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा एटोरोस्टैटिन की 2 गोलियों को साथ में लें। इसके बाद मरीज का अस्पतला में ईसीजी कराएं।

वहीं, स्ट्रोक पड़ने पर आप घर बैठे ऊपर लिखी गोलियां दें। मरीज को बिना देर किये तुरंत अस्पताल ले जाएं, वहां सीटी स्कैन के जरिये पता चलता है कि ब्लॉक कहां है और उसी हिसाब से इलाज किया जाता है।

दिमाग में ब्लीडिंग की स्थिति में भी मरीज को तुरंत हॉस्पीटल ले जाएं। वहां डॉक्टर्स एमआरआई और सीटी स्कैन के माध्यम से देखते हैं कि कहां और कितनी बलीडिंग हुई है। ज्यादा ब्लीडिंग होने की स्थिति में ऑपरेशन की नौबत भी आ सकती है।