डायबिटीज एक घातक बीमारी है, जो पिछले कुछ सालों में दुनियाभर के लिए एक बड़ी मुसीबत बनकर उभरी है। खासकर भारत में आए दिन मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। इस बीमारी के 2 टाइप हैं- टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज।
टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिक होती है। इससे पीड़ित शख्स के पेंक्रियाज में हार्मोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, जिससे खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में पेंक्रियाज में जरूरत के हिसाब से इंसुलिन नहीं बनता है या ठीक से काम नहीं करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान को टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती कारणों में से सबसे अहम बताते हैं। अधिक चिंता की बात यह है कि दुनिया में फिलहाल डायबिटीज का कोई ज्ञात इलाज नहीं है, ऐसे में इस गंभीर बीमारी से पीड़ित शख्स की जरा सी भी चूक के चलते कई बार उसे अस्पताल तक का रुख करना पड़ता है। खासकर ठंड के मौसम में उन्हें अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।
दरअसल, तापमान में गिरावट से इंसुलिन स्पाइक का खतरा बढ़ जाता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से आगे बढ़ता है। तापमान में कमी आते ही बॉडी में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। वहीं, कॉर्टिसोल इंसुलिन के प्रोडक्शन को तेजी से कम कर देता है, साथ ही लिवर को और ज्यादा ग्लूकोज बनाने के लिए भी उकसाता है। ऐसे में एक ओर इंसुलिन का कम उत्पादन और दूसरी ओर ज्यादा ग्लूकोज का बनना, यानी सर्दी डायबिटीज मरीजों के लिए किसी आफत से कम नहीं है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को सर्दी में अतिरिक्त बचाव की जरूरत होती है। वहीं, अगर आप भी मधुमेह से पीड़ित हैं, तो इस लेख में हम आपको 5 ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप सर्दी के मौसम में इंसुलिन स्पाइक के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये तरीके-
डायबिटीज के मरीज सुबह-सुबह करें ये 5 काम
स्टेप 1- गुनगुना पानी पिएं
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मधुमेह रोगियों की बेहतर सेहत के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि वे खुद को हाइड्रेटेड रखें। दरअसल, ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाने पर मधुमेह से पीड़ित लोग अक्सर निर्जलीकरण के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में आप अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुना पानी पीकर करें। शरीर में पानी की सही मात्रा किडनी को अतिरिक्त शर्करा के स्तर को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करती है। साथ ही क्योंकि पानी में कार्बोहाइड्रेट या कैलोरी नहीं होती है, इस वजह से ये शुगर के मरीजों के लिए पूरी तरह सुरक्षित भी है।
स्टेप 2- मेथी दाने का पानी पिएं
हल्का गुनगुना पानी पीने के बाद मधुमेह रोगियों को मेथी दाने का पानी पीने की सलाह दी जाती है। इसके लिए आपको रात के समय ही एक गिलास पानी में 1 बड़ा चम्मच मेथी दाना भिगोकर रख दे देना और सुबह इस पानी का सेवन करना है। कई हेल्थ रिपोर्ट्स बताती हैं कि मेथी दाने का पानी डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। दरअसल, मेथी में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं, जो इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकते हैं और इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकते हैं। साथ ही इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में मौजूद होता है, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
स्टेप 3- योग करें
योगासन के नियमित अभ्यास से आपको नेचुरल तरीके से बॉडी में इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। ऐसे में मेथी दाना पानी पीने के बाद करीब 20 से 25 मिनट योग करें। इसके लिए आप धनुरासन का अभ्यास कर सकते हैं। धनुरासन पैंक्रियाज को सक्रिय कर देता है, जिससे इंसुलिन स्पाइक का खतरा कम हो जाता है। आप बलासन कर सकते हैं। ये इंसुलिन प्रोड्यूजिंग बीटा सेल्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। इन सब के अलावा स्पाइनल ट्विस्ट भी आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, ये पेट के निचले हिस्से के अंगों को स्टिम्युलेट करता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में मधुमेह को कंट्रोल करने में ये योगासन भी आपकी मदद कर सकता है।
स्टेप 4- नाश्ता है जरूरी
बता दें कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए खाना स्किप करना भारी पड़ सकता है। खासकर ब्रेकफास्ट को स्किप करना सेहत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने जैसा है। कई अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि मधुमेह से पीड़ित शख्स अगर सही समय पर नाश्ता नहीं करते हैं, तो ये उनके ग्लूकोज के लेवल पर असर डालता है। वहीं, नाश्ता करने के लिए भी सोकर उठने के एक या दो घंटे के बाद का समय सही बताया गया है।
स्टेप 5- फाइबर और प्रोटीन
अपने नाश्ते में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर चीजों को जरूर शामिल करें। जैसा की ऊपर जिक्र किया गया है, फाइबर शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। आसान भाषा में समझें, तो फाइबर रिच फूड को पचने में अधिक समय लगता है, ऐसे में इन्हें खाने से शुगर लेवल में एकदम से वृद्धि नहीं होती है। वहीं, कई शोध के नतीजे बताते हैं कि प्रोटीन भोजन के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करता है, जिससे रक्त शर्करा में वृद्धि को नहीं होती है। साथ ही ये रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाए बिना इंसुलिन प्रतिक्रिया को बढ़ाता है।
ऐसे में सुबह-सुबह अपनाए गए ये 5 स्टेप्स दिनभर आपके शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
Disclaimer: आर्टिकल में लिखी गई सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी है। किसी भी प्रकार की समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से जरूर परामर्श करें