डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्लड शुगर को नार्मल रखना बेहद ज़रूरी है। डायबिटीज मरीज़ को शुगर नॉर्मल रखने के लिए सबसे पहले मीठा खाने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है। मीठे फूड्स में कार्बोहाइड्रेट भरपूर होता है जो ब्लड में शुगर का स्तर तेज़ी से बढ़ता है। चीनी एक ऐसा घटक है जिसे डायबिटीज, हृदय रोग और कुछ कैंसर जैसी क्रॉनिक बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। ऐसे में, चीनी के सेवन को सीमित करना बेहद महत्वपूर्ण है, ख़ासतौर पर अतिरिक्त चीनी जो प्रोसेस फूड्स की शेल्फ लाइफ और टेस्ट को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
ऐसे में चीनी की खपत को कम करने के तरीकों को खोजना बेहद ज़रूरी है। चीनी की खपत कम करने के लिए पोषण विशेषज्ञ दीपशिखा जैन ने एक रील में सुझाव दिया है कि अगर आप चीनी कंज्यूम पर कंट्रोल करना चाहते हैं तो लिक्विड फूड्स को लाल कप में पीना शुरू कर दें।रेड कप में लिक्विड फूड्स को पीने से चीनी का सेवन कम करने में मदद मिल सकती है।
जैन ने रील में बताया कि लाल रंग अक्सर मीठे स्वाद से जुड़ा होता है, जैसा कि स्ट्रॉबेरी और अनार जैसे मीठे फलों में देखा जाता है। यह जुड़ाव लोगों को अनजाने में किसी ड्रिंक को उसके नेचुरल स्वाद से अधिक मीठा समझने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे मीठा खाने की क्रेविंग कंट्रोल होती है। लाल रंग में पेय का सेवन करने से मस्तिष्क अपनी मीठा खाने की लालसा को संतुष्ट करता है और अतिरिक्त चीनी खाने की इच्छा को कम करने के लिए प्रेरित करता है।
लाल रंग कैसे मीठा पर कंट्रोल करने में मदद करता है?
साइकोलॉजी,सेंसरी साइंस और मार्केटिंग में रिसर्च से पता चला है कि भोजन और ड्रिंक का रंग स्वाद को लेकर किए गए परसेप्शन को प्रभावित कर सकता है। जबकि कुछ विशेषज्ञों ने शुरू में दोनों के बीच किसी महत्वपूर्ण संबंध पर संदेह किया था, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोध से पता चला है कि भोजन और पेय का रंग वास्तव में हमारे स्वादों को समझने के तरीके को प्रभावित कर सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के चार्ल्स स्पेंस के शोध से यह भी पता चलता है कि शिशु भी रंग को स्वाद से जोड़ते हैं।
पोषण विशेषज्ञ और नमामिलिफ़ की संस्थापक, नमामि अग्रवाल ने जैन की इस रील से सहमति जताई है। उन्होंने बताया है कि कैसे रंग हमारे स्वाद के एक्सपेक्टेशन को आकार देता हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि हमारा मस्तिष्क रंगों को स्वादों के साथ जोड़ता है। रंग हमारे दृश्य और स्वाद दोनों धारणाओं को प्रभावित कर सकता हैं।
क्लीनिकल डायटीशियन गरिमा गोयल ने इस अवधारणा को एक उदाहरण के साथ समझाया कि कैसे कप का रंग खाने की क्रेविंग को कंट्रोल करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक कप का रंग कॉफी की कड़वाहट को प्रभावित कर सकता है। जब हम कॉफी का सेवन सफेद कप की तुलना में गहरे रंग के कप में करते हैं तो हम उसे ज्यादा कड़वा महसूस करते हैं।
