Diabetes in children: मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो जीवन शैली और खान-पान के कारण विकसित होती है। बढ़ती उम्र में इसका खतरा ज्यादा होता है, लेकिन गलत खान-पान और खराब लाइफस्टाइल के कारण बच्चे भी डायबिटीज (Diabetes In Kids) के शिकार हो रहे हैं। पिछले बीस वर्षों में भारत सहित दुनिया भर के बच्चों में टाइप-1 मधुमेह और टाइप-2 मधुमेह की दर बढ़ी है।

बच्चे भी हो सकते हैं डायबिटीज के शिकार

गलत खान-पान, खराब जीवन शैली, मोटापा और पारिवारिक इतिहास बच्चों में मधुमेह में योगदान करते हैं। बच्चे मधुमेह का विकास तब करते हैं जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 तक भारत में डायबिटीज के 7.7 करोड़ मरीज हैं। इसके अलावा भारत 20 से 80 आयु वर्ग के मधुमेह रोगियों की संख्या में दूसरे स्थान पर है।

बच्चों में टाइप 1 मधुमेह | Type 1 diabetes in children

बच्चों में टाइप 1 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके बच्चे का शरीर एक महत्वपूर्ण हार्मोन (इंसुलिन) का उत्पादन नहीं करता है। बच्चों में टाइप 1 मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि बच्चों में टाइप 1 मधुमेह के लक्षण हैं जैसे अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, उल्टी, सुस्ती और अत्यधिक नींद आना, तो ब्लड शुगर टेस्ट करवाना चाहिए।

बच्चों में टाइप- 2 मधुमेह | Type 2 diabetes in children

ऐसा कहा जाता था कि मधुमेह केवल वृद्ध लोगों को ही प्रभावित करता है। लेकिन अब छोटे बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामले टाइप-2 डायबिटीज के होते हैं। अब टाइप-2 डायबिटीज के शुरू होने की सही उम्र का पता लगाना बहुत मुश्किल है। Dr Makkar’s Diabetes And Obesity Centre के डॉक्टर बृज मोहन मक्कड़ के मुताबिक 14 से 20 साल की उम्र के बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। पिछले एक दशक (10 साल) में इस उम्र वर्ग में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। बच्चों में मधुमेह के सभी मामलों में लगभग 12 से 25% टाइप -2 मधुमेह होते हैं।

बच्चों में बढ़ता मोटापा एक चेतावनी संकेत है | Obesity and Diabetes in Children

डॉ. बीएम मक्कड़ का कहना है कि बच्चों में मोटापे की दर बढ़ रही है। शारीरिक गतिविधि की कमी, देर रात तक काम करना, भोजन पाने के लिए कड़ी मेहनत न करना और जंक फूड का बढ़ता सेवन मधुमेह के रोगियों की संख्या में वृद्धि कर रहा है। यदि गर्भवती महिला मोटापे से ग्रस्त है, तो बच्चे को किशोरावस्था में टाइप-2 मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है। जिन बच्चों में 15 वर्ष की आयु (प्रारंभिक जीवन) में टाइप 2 मधुमेह विकसित हो जाता है, वे जीवन में बाद में प्रभावित होते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 20 से 70 साल की उम्र की कुल आबादी का 8.7 फीसदी मधुमेह से पीड़ित है। सभी जानते हैं कि मधुमेह जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। लेकिन अब यह बीमारी भारत में महामारी बन चुकी है। मधुमेह कई कारणों से हो सकता है, इसलिए इससे निपटने के लिए अलग-अलग तरीकों की जरूरत होती है।

इन बातों का ख्याल रखें

बच्चों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। क्‍योंकि अगर टाइप-2 डायबिटीज वाले बच्‍चों की निगरानी और नियंत्रण नहीं किया गया तो यह जानलेवा हो सकता है। ऐसे में 35 साल की उम्र में जोखिम पैदा हो सकता है और यह उनके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है। अगर आप बच्चों में डायबिटीज से बचना चाहते हैं तो इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • बच्चों को सक्रिय रखें और बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • बच्चों का वजन अधिक न बढ़ने दें।
  • बच्चों के खान-पान पर ध्यान दें और उन्हें जंक फूड का सेवन न करने दें।
  • बच्चों का स्क्रीन टाइम (मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर देखना) 1-2 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए।