Coronavirus Pandemic: वैश्विक महामारी बनकर उभरे कोरोना वायरस से पीड़ित भारत में भी लगातार मरीज बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 24 घंटे में देश भर में इस वायरस के करीब 14 हजार 821 नये मामले सामने आए हैं। इस घातक वायरस का बढ़ता प्रकोप सरकार, स्वास्थ्य विभाग के साथ ही आम जनता के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा है। सख्त लॉकडाउन के बाद भी भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 4 लाख 25 हजार पार कर चुकी है। इस बीच, एक्सपर्ट्स का मानना है कि बारिश के मौसम में इस घातक वायरस से संक्रमण का खतरा अधिक है। आइए जानते हैं-

बारिश के मौसम में बढ़ जाती है ह्यूमिडिटी: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बरसात या मॉनसून के मौसम सें ह्यूमिडिटी ज्यादा हो जाती है जिसके कारण हवा में घनत्व की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है। ऐसे में ये वायरस किसी भी सतह पर गर्मी की दिनों की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक रह सकते हैं। इस वजह से स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के मामले इस मौसम में अधिक सामने आ सकते हैं। बरसात के दिनों में आमतौर पर भी संक्रमण का खतरा अधिक होता है, ऐसे में लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी।

ज्यादा दिनों तक वायरस रह सकता है ऐक्टिव: यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के एक शोध के अनुसार इस वायरस से जुड़े कई मामलों में 17 दिनों के बाद भी सतह पर कोरोना वायरस पाया गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार इन हालातों में ये कहना मुश्किल है कि बारिश के पानी के संपर्क में आने से कोरोना वायरस साफ या कमजोर हो जाएगा। वहीं, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देश जहां पूरे साल बारिश होती है, इस घातक वायरस के संक्रमण के मामले वहां भी मौजूद हैं।

बारिश का पानी डिसइंफेक्ट करने में असक्षम: इसके अलावा, अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में एपलाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेर्ड इवांस के अनुसार भी बारिश में मौजूद नमी के कारण वायरस अधिक तीव्र हो जाएंगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में बरसात के मौसम में विशेषज्ञ लोगों को अधिक सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। वहीं, कई विशेषज्ञ ऐसा भी मान रहे हैं कि साबुन पानी के तरह बरसात का पानी अफेक्टेड एरिया डिसइंफेक्ट करने में सक्षम नहीं है।