Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस का बढ़ता प्रकोप दुनिया भर के लिए परेशानी की वजह बना हुआ है। वैश्विक महामारी बनकर उभरे इस वायरस से पीड़ित भारत में भी लगातार मरीज बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 2 महीने से लगे सख्त लॉकडाउन के बाद भी भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 3 लाख पार कर चुकी है। हालांकि, अब मॉल्स, होटल्स व धार्मिक स्थल दोबारा खुलने लगे हैं। इन सब जगहों पर जाने के लिए सरकार ने कई गाइडलाइंस जारी की हैं जिनका लोगों को पालन करना है। इस बीच हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि फेस मास्क का अगर व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकना संभव है।

स्टडी में ये चला है पता: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट साइंस के रिचर्ड स्टट जो इस शोध के मुख्य ऑथर भी हैं, उनके अनुसार अगर फेस मास्क का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाए तो इस कोरोना काल को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। उनके अनुसार जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मास्क पहनकर देश में आर्थिक गतिविधियां भी शुरू की जा सकती हैं। हालांकि, शोध में मास्क के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सैनिटाइजेशन और कुछ हद तक लॉकडाउन पर भी जोर दिया गया है।

क्यों मास्क पहनना है जरूरी: कोरोना वायरस के इस दौर में मास्क लोगों की सबसे बड़ी जरूरत बनकर उभरा है। इस शोध के अनुसार अगर देश की 75 प्रतिशत आबादी भी मास्क का प्रयोग करती है तो बगैर लॉकडाउन के भी कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है। शोध में इस बात का जिक्र है कि अगर लोग सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनेंगे तो अगले करीब डेढ़ साल में इस वायरस के संक्रमण को कम किया जा सकता है।

इसके मुताबिक लक्षण नजर आने के बाद मास्क पहनने से ज्यादा असरदार है हर समय मास्क पहनकर रहना। लक्षण दिखने के बाद मास्क का पहनने की बजाय, बिना लक्षण दिखे यानी कि सार्वजनिक स्तर पर मास्क का प्रयोग करने से संक्रमण दर को 50 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

WHO ने भी मास्क पहनने की दी थी हिदायत: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले हर समय मास्क न लगाए रखने की सलाह दी थी। पर जब से इस वायरस के लक्षण असिंप्टोमैटिक हुए हैं, तब से ही WHO मास्क के विश्वव्यापी इस्तेमाल पर जोर दे रहा है।