हम सर्दी, बुखार, फेफड़ों की बीमारी, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, स्किन इंफेक्शन, गले की सूजन, सर्जरी के बाद बाद संक्रमण से बचाव करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं। कम शब्दों में कहें तो एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन बैक्टीरिया को मारने और उनकी वृद्धि को रोकने के लिए किया जाता है। बैक्टीरिया से होने वाली गंभीर बीमारियों जैसे ट्यूबरक्लोसिस (TB), मेनिनजाइटिस, सेप्सिस जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करने में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया जाता हैं। बॉडी को बीमारियों से महफूज रखने में एंटीबायोटिक का सेवन बेहद जरूरी है। लेकिन आप जानते हैं कि आप सर्दी,खांसी,बुखार और वायरल इंफेक्शन से बचाव करने के लिए घर में ही नेचुरल एंटीबायोटिक फूड्स का सेवन कर सकते हैं।
जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर कुछ नेचुरल एंटीबायोटिक का सेवन करके न सिर्फ इम्यूनिटी को बूस्ट किया जा सकता है बल्कि कई बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है। आइए आपको 4 ऐसे नेचुरल एंटीबायोटिक के बारे में जानते हैं जो बीमारियों का उपचार करने में दवा की तरह काम करते हैं।
लहसुन का करें सेवन
लहसुन में एलिसिन नाम का एक कंपाउंड मौजूद होता है जो जीवाणुरोधी और एंटीफंगल होता है। लहसुन का उपयोग सदियों से घावों, संक्रमणों और यहां तक कि श्वसन संबंधी बीमारियों का इलाज करने में किया जाता रहा है। यह ई.कोली और साल्मोनेला जैसे सामान्य बैक्टीरिया से लड़ने में भी असरदार साबित होता है। यह एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया पर भी काम करता है। लहसुन का सेवन आप कच्चा कर सकते हैं और इसे पकाकर भी खा सकते हैं। कुचला या कटा हुआ लहसुन एलिसिन छोड़ता है, जिससे यह अधिक शक्तिशाली हो जाता है। नियमित सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होती है,सूजन कंट्रोल रहती है और बॉडी हेल्दी रहती है।
नेचुरल एंटीबायोटिक है नीम
नीम हजारों सालों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक मुख्य औषधि की तरह इस्तेमाल होता रहा है। नीम के पेड़ के लगभग हर हिस्से, यानी पत्ते, छाल और बीज में औषधीय गुण होते हैं। इसमें जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण भी मौजूद होते हैं जो संक्रमण से बचाव करते हैं,स्किन के रोगों को दूर करते हैं और ओरल हेल्थ में सुधार करते हैं। नीम के पत्तों का पेस्ट या पाउडर मुंहासों पर, कटने और फंगल रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। नीम के तेल का इस्तेमाल स्कैल्प के रोगों और डैंड्रफ का इलाज करने के लिए किया जाता है। स्वाद में कड़वा लेकिन ब्लड को साफ करने वाला ये नीम इम्यूनिटी को मजबूत करता है।
हल्दी भी है दवा
हल्दी एक ऐसा मसाला है जिसमें करक्यूमिन होता है जो एक सक्रिय एजेंट है। करक्यूमिन अपने मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है। हल्दी घावों को भरने, संक्रमण से लड़ने और आंत को हेल्दी रखने की दवा है। संक्रमण को रोकने के लिए हल्दी का इस्तेमाल पेस्ट बनाकर चोट पर लगाया जाता है। हल्दी का सेवन दूध के साथ भी किया जाता है। हल्दी का दूध सर्दी-जुकाम और गले में खराश का इलाज करने में किया जाता रहा है। करक्यूमिन गठिया जैसी बीमारी में सूजन को कंट्रोल करता है।
शहद है संक्रमण का बचाव
शहद का इस्तेमाल हमेशा से घावों और संक्रमणों को ठीक करने में किया जाता रहा है। कच्चे शहद में हाइड्रोजन पेरोक्साइड और अन्य पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया को मारते हैं, घाव के आसपास नमी बनाए रखते हैं, जिससे ऊतक की मरम्मत करने में मदद मिलती है। शहद को गर्म पानी या हर्बल टी में मिलाकर पीने से गले की खराश और खांसी से भी राहत मिलती है। इसके प्राकृतिक एंजाइम इम्यूनिटी को बूस्ट करते हैं, गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं और आंत की सेहत में सुधार करते हैं। शहद से पूरा फायदा लेने के लिए आप इसे कच्चा ही सेवन करें। यह नेचुरल एंटीबायोटिक है जो बॉडी को हेल्दी रखता है।
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