सर्दियों में हड्डियों और जोड़ों में दर्द बढ़ने की समस्या बहुत आम है। गर्मी के मौसम में तापमान ऊंचा होने के कारण शरीर की मांसपेशियां ढीली रहती हैं, ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर रहता है, जिससे दर्द और जकड़न कम महसूस होती है। लेकिन जैसे ही सर्दी आती है, तापमान गिरने की वजह से शरीर की मांसपेशियां और जोड़ों के आसपास के टिश्यू सिकुड़ने लगते हैं। इससे रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है और जोड़ों में जकड़न, अकड़न और दर्द बढ़ने लगता है। ठंड के कारण सिनोवियल फ्लूड जो जोड़ों को लुब्रिकेशन देता है उसकी मोटाई बढ़ जाती है, जिससे हड्डियों की मूवमेंट स्मूथ नहीं रहती। यह भी दर्द का एक कारण है।
इसके अलावा सर्दियों में लोग कम धूप में जाते हैं जिससे शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है और ये कैल्शियम अवशोषण को प्रभावित करती है, जिससे हड्डियां कमजोर होकर दर्द देने लगती हैं। ठंड में शारीरिक गतिविधि भी कम हो जाती है, जिससे हार्डनिंग और जॉइंट स्टिफनेस बढ़ती है। जिन लोगों को पहले से आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस या सर्वाइकल जैसी समस्याएं हैं, उन्हें सर्दियों में दर्द अधिक महसूस होता है। नियमित व्यायाम, हल्की धूप, गरम तेल से मालिश, कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर डाइट सर्दी में जोड़ों के दर्द को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
सर्दी में हड्डियों के दर्द, मांसपेशियों की अकड़न और सूजन को कंट्रोल करने में घरेलू नुस्खे भी असरदार साबित होते हैं। वर्धा आयुर्वेद में डॉक्टर सुभाष गोयल ने सर्दी में जोड़ों की अकड़न और दर्द को दूर करने के लिए दूध में हल्दी के साथ एक चम्मच इस पाउडर को मिलाकर पीने की सलाह दी है। इस पाउडर को आप घर में बनाएं, जिसे बनाने के लिए काले तिल, अखरोट, खसखस और अलसी के बीज लेना है। इन सभी चीजों को बारीक पीस लें और उनका पाउडर बना लें। एक चम्मच इस पाउडर को दूध के साथ पिएं तो आपको पूरी सर्दी जोड़ों में दर्द और अकड़न नहीं होगी। आइए जानते हैं कि इस पाउडर में ऐसे कौन-कौन से गुण हैं जो सर्दी में जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत देते हैं।
काले तिल (Black Sesame Seeds)
काले तिल कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और हेल्दी फैट्स के बेहतरीन स्रोत हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। इनमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं। तिल शरीर की गर्मी बढ़ाते हैं, जिससे सर्दियों में जकड़न और जकड़न में राहत मिलती है। इनके एंटीऑक्सिडेंट्स हड्डियों के क्षरण को रोकते हैं और आर्थराइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
अखरोट (Walnuts)
अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड का शक्तिशाली स्रोत है, जो शरीर में सूजन पैदा करने वाले एंजाइम को कम करता है, इसलिए ये जोड़ों के दर्द में बेहद फायदेमंद है। इसमें मौजूद विटामिन E, कॉपर और एंटीऑक्सीडेंट जॉइंट लुब्रिकेशन सुधारते हैं और हड्डियों की मजबूती बढ़ाते हैं। अखरोट नियमित रूप से खाने से आर्थराइटिस के लक्षण कम होते हैं और शरीर की सूजन घटती है, जिससे मूवमेंट आसान होती है।
खसखस (Khas Khas)
खसखस कैल्शियम, आयरन, जिंक और हेल्दी फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाकर दर्द कम करता है। इसके प्राकृतिक दर्द निवारक और सूजन कम करने वाले गुण जोड़ों की जकड़न और सूजन में राहत देते हैं। खसखस शरीर को शांत करता है और नींद सुधारता है, जिससे रात के समय होने वाला जॉइंट पेन भी कम होता है। सर्दियों में खसखस का सेवन जोड़ों की गर्माहट बनाए रखता है।
अलसी के बीज (Flaxseeds)
अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड का सबसे सस्ता और प्राकृतिक स्रोत है, जो शरीर की सूजन तेजी से घटाता है। यह जोड़ों की लुब्रिकेशन सुधारता है, जिससे दर्द और कठोरता कम होती है। अलसी में मौजूद लिग्नांस और एंटीऑक्सीडेंट हड्डियों को नुकसान पहुंचाने वाली फ्री रेडिकल्स को रोकते हैं। नियमित सेवन आर्थराइटिस, रुमेटॉयड दर्द और घुटनों की सूजन में खास फायदेमंद है और मूवमेंट को स्मूथ बनाता है।
काले तिल, अखरोट, खसखस और अलसी के बीज कैसे करते हैं मिलकर असर
काले तिल, अखरोट, खसखस और अलसी के बीज ये सभी प्राकृतिक कैल्शियम, हेल्दी फैट और ज्वाइंट लुब्रीकेंट का पावरहाउस हैं। उसका पाउडर बनाकर दूध और थोड़ी सी हल्दी के साथ रोज लेने से जोड़ों को मजबूत मिलती है, जोड़ों में लचीला आता है और सूजन कंट्रोल रहती है। ये पाउडर हड्डियों के लिए दवा का काम करता है।
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