आजकल बदलते मौसम और वायरल इंफेक्शन के चलते बच्चों में खांसी-जुकाम आम समस्या है। ज्यादातर माता-पिता डॉक्टर की सलाह या मेडिकल स्टोर से आसानी से मिलने वाली खांसी की सिरप देकर राहत दिलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह या मेडिकल स्टोर से आसानी से मिलने वाली खांसी की ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप जानलेवा साबित हो रही है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत हो गई। राज्य सरकारों ने एहतियाती कदम उठाते हुए इसकी बिक्री को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन यानी CDSCO ने छह राज्यों में दवा निर्माण इकाइयों की रिस्क-बेस्ड (जोखिम-आधारित) जांच शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल ये है कि कैसे खांसी की सिरप से बच्चों की मौत हो रही है?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, राज्य के अधिकारियों द्वारा कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूनों की जांच की गई और पाया गया कि उनमें डायएथिलिन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मात्रा अधिक है। डायएथिलिन ग्लाइकॉल एक विषैला विलायक है, जिसका उपयोग औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है और यह किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद, रेजिडेंट डॉक्टर, मनीष जैन के मुताबिक, भारत और अन्य देशों में पिछले कई वर्षों से कफ सिरप से मौतों के मामले सामने आते रहे हैं। हाल ही रिपोर्ट्स में ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ में एक खतरनाक केमिकल डाइएथिलिन ग्लाइकॉल (DEG) की मौजूदगी सामने आई है। यह वही केमिकल है जिसका सेवन शरीर में पहुंचने पर धीमे-धीमे अंगों को नुकसान पहुंचाता है और कई बार मौत तक का कारण बन सकता है।
डॉ. मनीष जैन के मुताबिक, दवाओं के निर्माण के पीछे मुख्य समस्या यह है कि इंसानों के उपयोग के लिए जो फार्माकोलॉजिकल ग्रेड के इनग्रेडिएंट होते हैं, उनकी जगह अक्सर सस्ते और कम गुणवत्ता वाले इंडस्ट्रियल ग्रेड इंग्रेडिएंट्स का उपयोग किया जाता है। इस कफ सिरप में भी डाइएथिलिन ग्लाइकॉल जैसा जहरीला तत्व मिल जाता है, जो किडनी को नुकसान पहुंचाता है और किडनी फेलियर का कारण बनता है। कफ सिरप में यह जहरीला पदार्थ कई बार इतना गंभीर रूप ले सकता है, जिससे बच्चों की मौत भी हो जाती है।
क्या है डाइएथिलिन ग्लाइकॉल?
डाइएथिलिन ग्लाइकॉल एक रंगहीन, गंधहीन और मीठे स्वाद वाला हाइग्रोस्कोपिक तरल है, जो एक कार्बनिक यौगिक है। असल में यह एक औद्योगिक सॉल्वेंट है, जिसका इस्तेमाल पेंट, ब्रेक फ्लूइड, प्लास्टिक और एंटीफ्रीज बनाने में किया जाता है। इसे किसी भी तरह से इंसान के सेवन के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। दवा निर्माण में इसे अक्सर गलती से या मिलावट के कारण ग्लिसरीन जैसे सुरक्षित सॉल्वेंट की जगह इस्तेमाल कर लिया जाता है।
बच्चों के लिए क्यों ज्यादा खतरनाक
बच्चों का शरीर बेहद संवेदनशील और नाजुक होता है। बच्चों का लिवर और किडनी बड़ों की तुलना में टॉक्सिक केमिकल्स को कमजोर तरीके से प्रोसेस कर पाते हैं। ऐसे में डाइएथिलिन ग्लाइकॉल जैसा जहरीला तत्व शरीर में पहुंचने के बाद किडनी को धीरे-धीरे डैमेज करता है। बच्चे डिहाइड्रेशन, उल्टी, पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। जब ये तत्व गंभीर रूप ले लेता है तो किडनी फेल तक हो जाती है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं, एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झाजर ने बताया अगर आपका कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आप एनिमल फूड्स का सेवन करने से परहेज करें।