देश और दुनिया में वायरस के आक्रमण का सिलसिला जारी है। कोविड-19 के बाद कई तरह के वायरस आ चुके हैं जिनकी वजह से लोगों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा है। हाल ही में चांदीपुरा नाम का वायरस लोगों को बेहद परेशान कर रहा है। ये वायरस भारत के कई राज्यों में फैल चुका है, WHO के मुताबिक पिछले 20 सालों में इस खतरनाक वायरस के फैलने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। देश के कई राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश में चांदीपुरा वायरस के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
इस बीमारी के 29 मामले सामने आए हैं जिसमें 26 गुजरात से, दो राजस्थान से और 1 मामला मध्य प्रदेश से है। 15 मौतों में से 13 राज्य से हैं जबकि एक-एक मध्य प्रदेश और राजस्थान से हैं। इस वायरस से मरने वालों की मृत्यु दर 33 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
WHO के मुताबिक पिछले 20 सालों में चांदीपुरा वायरस तेजी से फैला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों से विशेष सावधानी बरतते की अपील की है। इस वायरस की चपेट में बच्चे सबसे ज्यादा आ रहे हैं। ग्रामीण इलाके के लोग इस वायरस की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। इस वायरस के फैलने के लिए मच्छर और मक्खियां जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं कि चांदीपुरा वायरस का कारण क्या है और बच्चों का इस वायरस से कैसे बचाव करें।
चांदीपुरा वायरस क्या है?
CHPV रबडोविरिडे फैमिली का एक वायरस है। इस वायरस में रेबीज का कारण बनने वाले लाइसावायरस जैसे अन्य सदस्य भी शामिल हैं। सैंडफ्लाइज़ की कई प्रजातियां जैसे फ़्लेबोटोमाइन सैंडफ़्लाइज़ और फ़्लेबोटोमस पपाटासी, और कुछ मच्छर प्रजातियां जैसे एडीज को CHPV का वाहक माना जाता है। ये वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथि में रहता है, और इंसान को काटकर उसके शरीर में प्रवेश करता है। वायरस के कारण होने वाला ये संक्रमण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुंच सकता है जिससे एन्सेफलाइटिस हो सकता है।
भारत में चांदीपुरा वायरस का पहला मामला महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में 1965 में सामने आया था। इस गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम पड़ा था। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले सामने आते हैं। यह संक्रमण मच्छर, मक्खी (सैंड फ्लाई) जैसे वेक्टर्स के काटने से फैलता है।
चांदीपुरा वायरस के लक्षण
- तेज बुखार होना जो 104 तक पहुंच सकता है।
- डायरिया की परेशानी हो सकती है।
- बॉडी पेन, सिर दर्द होना
- सांस लेने में दिक्कत होना,
- ब्लीडिंग और एनीमिया जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
चांदीपुरा वायरस फैलने का कारण
अहमदाबाद सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश जोशी ने बताया इस वायरस का प्रकोप ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है। इन इलाकों में मच्छर और मक्खियां ज्यादा है जो बीमारी के फैलने का कारण बनते हैं। बरसात का मौसम मच्छर और मक्खियों के लिए माकूल मौसम है जो सैंड फ्लाइज़ के फैलने का कारण बनता है।
चांदीपुरा वायरस से कैसे करें बचाव
चांदीपुरा वायरस से बचाव करने के लिए घर से पूरी बॉडी को कवर करके निकलें। बच्चे और बुजुर्गों को पूरी बाहों के कपड़े पहनाएं।
इस बीमारी से सचेत रहें। बीमारी के लक्षणों को समझे और उसका तुरंत इलाज करें।
इस वायरस से बचाव की कोई एंटीवायरस दवा नहीं है सिर्फ बचाव करके ही इस बीमारी से बच सकते हैं।
ये वायरस 9 महीने से लेकर 14 साल के बच्चों में तेजी से फैलता है इसलिए इन बच्चों को पूरी बाहों के कपड़े पहनाएं।
इस वायरस से घबराना नहीं है सिर्फ इससे बचाव करना है।