Indian Cervical Cancer Vaccine: भारत के लिए 1 सितंबर 2022 का दिन बेहद खास होने वाला है। आज के दिन भारत के नाम एक उपलब्धि दर्ज होने वाली है। दरअसल, आज सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (क्यूएचपीवी) लॉन्च करेंगे। बहुप्रतीक्षित वैक्सीन का उद्घाटन गुरुवार को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह द्वारा किया जाएगा-

मौजूदा वैक्सीन की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध

सर्वाइकल कैंसर के इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है। सीरम इंस्टीट्यूट और डिपार्टमेंट और बायोटेक्नोलॉजी संयुक्त रूप से इस वैक्सीन को लॉन्च करेंगे। जानकारों के मुताबिक एचपीवी वैक्सीन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाएगा। यह टीका सस्ता और सुलभ होगा। डॉक्टरों के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के लिए एचआईवी का टीका पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन पहला क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पेपिलोमावायरस वैक्सीन मौजूदा वैक्सीन की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध होगा।

वैक्सीन को जुलाई में मिली थी मंजूरी

जुलाई में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ देश के पहले क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पेपिलोमावायरस वैक्सीन के विकास को मंजूरी दी। राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने भी वैक्सीन पर क्लिनिकल परीक्षण के आंकड़ों की समीक्षा के बाद क्यूएचपीवी वैक्सीन को मंजूरी दी। जून में DCGI की विशेषज्ञ समिति ने नौ से 26 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए सर्वाइकल कैंसर के लिए qHPV वैक्सीन की सिफारिश की थी।

सर्वाइकल कैंसर से हो रही मौतों पर लगेगी लगाम (Cervical Cancer Vaccine Benefits)

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1.23 लाख मामले सामने आते हैं। इनमें से 67 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है। इस वैक्सीन के आने से तेजी से टीकाकरण संभव होगा, जिससे सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरपर्सन डॉ. एन. के अरोड़ा ने बताया, “85 फीसदी से 90 फीसदी मामलों में वैक्सीन के अभाव में सर्वाइकल कैंसर बढ़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। छोटे बच्चों और बेटियों को अगर हम पहले ही यह वैक्सीन दे दें तो वे संक्रमण से सुरक्षित रहेंगे और इसका नतीजा यह होगा कि उन्हें शायद 30 साल बाद सर्वाइकल कैंसर नहीं होगा। यह टीका भारत के साथ-साथ उसके पड़ोसी देशों के लिए भी बहुत उपयोगी हो सकता है।”