इस बात को हर कोई अच्छी तरह से जानते हैं कि हर एक महिला मासिक धर्म के मासिक चक्र से गुजरती हैं। वह जब तक प्रेग्नेंट न हो जाए, यह प्रक्रिया हर महीने होती है। पीरियड्स के दिनों में कुछ महिलाओं को ज्यादा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है, तो कुछ महिलाओं को  खून की कमी, मूड बदलने से लेकर पेट में ऐंठन जैसी न जाने कितनी समस्याएं उत्पन्न होती है। पीरियड्स के दौरान हर एक महिला को अलग-अलग समस्याएं होती है। लेकिन इन्हीं समस्याओं के कारण महिलाओं के बीच हिस्टेरेक्टॉमी का काफी प्रचलन बढ़ा है। जिसमें वह गर्भाशय निकलवा देती हैं। इससे प्रजनन क्षमता के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

क्या होता है हिस्टेरेक्टॉमी?

हिस्टरेक्टॉमी महिला के गर्भाशय या गर्भ को हटाने के लिए एक सर्जरी है। जिसके बाद महिला को पीरियड्स नहीं आते हैं और न ही प्रेग्नेंसी नहीं होती है। मेडिकल भाषा में इसे सर्जिकल मेनोपॉज (surgical menopause) के नाम से भी जाना जाता है। हिस्टरेक्टॉमी में पूरा गर्भाशय, कुछ मामलों में अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या फिर या गर्भाशय सरविक्स को हटाना शामिल किया जा सकता है।

हिस्टेरेक्टॉमी बन रहा मानसिक बीमारियों का कारण

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, भारत में मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग और यूट्रस प्रीजर्विंग थेरेपी जैसी कई गंभीर तेजी देखी जा रही है। जिसके बारे में जागरूकता महिलाओं को काफी कम है। जिसके कारण उनकी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। इससे शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी बात का ध्यान रखते हुए कि महिलाओं के बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है? इस बात को लेकर  इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (IHW) काउंसिल और महिला-स्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय ग्लोबल फार्मास्यूटिकल कंपनी बायर ने फॉग्सी (FOGSI) ने मिलकर ‘प्रिजर्व द यूट्रस; अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है देश में हिस्ट्रेक्टोमी के बढ़ते मामलों पर जागरूकता पैदा की जा सके, साथ ही देश में महिलाओं के प्रजनन-स्वास्थ्य में सुधार के लिए यूट्रस प्रीजर्विंग थेरेपीज के पक्ष में आगे बढ़ा जा सके।

जागरूकता फैलानी जरूरी

हाल में ही ‘प्रिजर्व द यूट्रस’ थीम पर कॉन्क्लेव हुई, जिसमें एक्सपर्ट्स ने अपने विचार पेश किए। पॉपुलेशन काउंसिल नई दिल्ली और सेवा हेल्थ कॉरपोरेटिव,अहमदाबाद की एसोसिएट-II डॉ. सपना देसाई इस मुद्दे में बात करती हुी कहती हैं कि सेहत के मामले में जेंडर इक्विटी के लिए विश्वसनीय जानकारी तक पहुंच होना बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे को लेकर उनके बीच अधिक जागरूकता फैलानी चाहिए, जिससे मातृत्व, प्रजनन-स्वास्थ्य से आगे निकलकर मेनोपॉज, एचएमबी हिस्ट्रेक्टोमी तक पहुंच सकते है। तभी हम महिलाओं के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दे सकते हैं।

बायर जाइडस के मैनेजिंग डायरेक्टर और साउथ एशिया हेड श्री मनोज सक्सेना ने कहा कि ‘प्रिजर्व द यूट्रस’ अभियान के माध्यम से हम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और महिलाओं के विभिन्न वर्गों तक पहुंच सके हैं। इस दौरान हमने हेवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग जैसे मुद्दों पर सही जानकारी के साथ महिलाओं को शिक्षित करने के लिए सही लक्ष्य लेकर पहल की। इससे हम बड़ा असर और जागरूकता पैदा करने में सफल रहे हैं। इस प्रकार से हम हेल्थकेयर को लेकर नए हल और नई तरह की सोच तैयार करने में मदद मिल सकती है, जिससे व्यापक रूप से महिलाओं के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता हासिल करना संभव है। युवावस्था में लड़कियों तक पहुंचना बेहद जरूरी है, क्योंकि बढ़ती लड़कियों में मेन्स्ट्रुअल हाइजीन को लेकर सही तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा की  जा सकती है।

महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम दिवाकर गोरे ने कहा कि सेहत से जुड़े बेहतर परिणामों के लिए हिस्ट्रेक्टोमी पर सरकारी दिशा-निर्देश और एसओपी को सही तरीके से लागू करने की जरूरत है। स्थाई हल और जानकारी व सबसे बेहतर तरीकों को आपस में जानने-समझने के लिए महिला-स्वास्थ्य को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।