Diabetes and Blood Donation: डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर के कारण होने वाला रोग है। खराब जीवन शैली और अनहेल्दी खानपान आमतौर पर इस बीमारी की प्रमुख वजहें हैं। इन दोनों ही चीजों पर ध्यान देकर शरीर में ब्लड शुगर के स्तर पर काबू रखा जा सकता है। जो लोग लंबे समय से इस बीमारी से पीड़ित हैं वो अक्सर लोगों की बातों में आकर कई कामों (जैसे कि फलों के सेवन) से खुद को दूर कर लेते हैं। ऐसी ही एक आम धारणा है कि डायबिटीज का मरीज रक्तदान नहीं कर सकता है। आइए जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है –

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि आमतौर पर लोग ऐसा सोचते हैं कि किसी को अगर कोई डायबिटीज रोगी ब्लड डोनेट करेगा तो इससे उसके ब्लड शुगर अनियमित हो सकता है। हालांकि, ऐसा होता नहीं है। उनके मुताबिक मधुमेह रोगी बेझिझक रक्तदान कर सकते हैं। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। वैसे मरीज ही केवल ब्लड डोनेट कर सकते हैं जिनका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल हो। साथ ही, अगर कोई मरीज इस बीमारी से जुड़ी कोई दवाएं खा रहा है तो भी वो खून डोनेट कर सकता है। वहीं, जो लोग इंसुलिन ले रहे हैं उन्हें रक्तदान करने से बचना चाहिए।

हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसॉर्डर डिजीज है। इससे मरीज के शरीर पर बुरा असर पड़ता है न कि ब्लड पर। उनके मुताबिक जब तक मरीज किसी दूसरे स्वास्थ्य जटिलता जैसे कि हृदय रोग या फिर किडनी संबंधी दिक्कतें से परेशान नहीं है तब तक रक्तदान करने में कोई बुराई नहीं है।

डायबिटीज रोगियों के लिए वही पैमाने निर्धारित किये गए हैं जो एक स्वस्थ सामान्य व्यक्ति के लिए होते हैं। आसान शब्दों में कहें तो मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन पर्याप्त होना चाहिए, शुगर नॉर्मल होना चाहिए, बीपी सामान्य होना चाहिए और हाल के दिनों में उन्हें कोई संक्रमण अगर नहीं हुआ तो वो ब्लड डोनेट करने के लिए फिट हैं।

कई बार कुछ लोगों को रक्तदान के दौरान चक्कर आने या सिर घूमने की शिकायत होती है, ऐसे में इस बात का ध्यान रखें कि खाली पेट ब्लड नहीं डोनेट करें। पर्याप्त मात्रा में भोजन करें और ब्लड डोनेशन से पहले सैंपल जमा कर दें।