Herd Immunity for Coronavirus: सख्त लॉकडाउन के बावजूद भी देश में कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। दुनिया भर में इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में भारत भी शामिल है। देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 लाख 66 हजार 598 पार कर चुकी है। इनमें 1 लाख 29 हजार 917 सक्रिय मामले हैं और साढ़े 7 हजार के करीब लोगों की मौत हो गई है। अब तक इस घातक वायरस का कोई भी पुख्ता इलाज सामने नहीं आ पाया है। वहीं, देश में अब कंटेनमेंट जोन के अलावा बाकी जगहें खुलनी शुरू हो गई हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे हैं कि Herd Immunity कोरोना वायरस को मात देने में कारगर साबित हो सकती है। आइए जानते हैं क्या है हर्ड इम्युनिटी और कैसे करता है काम-
क्या है हर्ड इम्युनिटी: हर्ड इम्युनिटी यानि कि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता। आमतौर पर जब कोई भी व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित होता है तो शरीर में मौजूद इम्युनिटी उस वायरस से लड़ने में एंटी-बॉडीज तैयार करती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर कोई बीमारी किसी समूह के बड़े हिस्से तक पहुंच जाता है तो संक्रमित लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी से लड़ने में मदद करती है। इस कारण जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर भी होती है, उन्हें भी सुरक्षित किया जा सकता है। कई देशों में पोलियो, चिकनपॉक्स और मम्प्स जैसी संक्रामक बीमारियां हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के बाद ही ठीक हुईं।
भारत में हर्ड इम्युनिटी: कहीं पर भी हर्ड इम्युनिटी तभी विकसित हो सकती है जब अधिकांश लोग उस वायरस का सामना करेंगे। पिछले करीब 2 महीनों के लॉकडाउन के बाद अब धीरे-धीरे रेस्ट्रॉन्ट्स, मॉल्स और धार्मिक स्थल खोले जा चुके हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार लोग जैसे ही घरों से निकलना शुरू करेंगे तो कोरोना वायरस का संक्रमण उन्हें अपनी चपेट में लेगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत में लगभग 65 प्रतिशत आबादी लगभग युवाओं की है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, वहीं डॉक्टरों का मानना है कि भारत में फैला ये वायरस बीटा कोरोना वायरस है जो कमजोर किस्म का है और इसकी मारक क्षमता भी बहुत कम है। ऐसे में एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे हैं कि हर्ड इम्यनिटी डेवलप होने के बाद इस वायरस का मुकाबला किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का क्या है मानना: हर्ड इम्युनिटी के अनुसार फ्यूचर में इस वायरस के प्रकोप को कम करने के लिए आबादी के एक तय हिस्से को संक्रमित होने दिया जाए। कई अध्ययनों में पता चला है कि कुछ लोग इस वायरस से संक्रमित होने के बाद घर में रहकर ही ठीक हो गए। ऐसे में अमरीका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के सीनियर रिसर्च स्कॉलर डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण का मानना है कि अगर देश में 65 प्रतिशत लोग इस वायरस से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो जाएंगे तो बची हुई 35 प्रतिशत आबादी भी सुरक्षित हो जाएगी।