calcium deficiency in women: आज की अनहेल्दी लाइफस्टाइल, गलत खानपान और फिजिकल एक्टिविटी की कमी का असर अब कम उम्र में ही शरीर पर दिखने लगा है। हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द, कमर में अकड़न और जल्दी थकान जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। कैल्शियम को अक्सर सिर्फ हड्डियों से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन असल में यह शरीर के कई जरूरी कामों में अहम भूमिका निभाता है। एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर डॉ. बिमल झांजर के अनुसार, महिलाओं में हार्मोनल बदलावों के कारण कैल्शियम की कमी का खतरा ज्यादा रहता है और इसके शुरुआती संकेत इतने हल्के होते हैं कि अक्सर नजरअंदाज हो जाते हैं

क्यों जरूरी है कैल्शियम?

कैल्शियम सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाने तक सीमित नहीं है। यह मांसपेशियों के संकुचन, नसों के सिग्नल, दिल की धड़कन को कंट्रोल करने और ब्लड क्लॉटिंग जैसी प्रक्रियाओं में भी जरूरी है। जब शरीर को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता, तो वह हड्डियों से कैल्शियम निकालना शुरू कर देता है। इससे धीरे-धीरे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

मांसपेशियों में बार-बार ऐंठन या झटके

कैल्शियम की कमी का सबसे शुरुआती संकेत मांसपेशियों में क्रैम्प्स और झटके होना है। खासकर रात के समय पिंडलियों, जांघों या बाहों में अचानक दर्द और खिंचाव महसूस होना आम लक्षण है। कुछ मामलों में चेहरे की मांसपेशियों में भी हल्के झटके महसूस हो सकते हैं, जो कैल्शियम की गंभीर कमी की ओर इशारा करते हैं।

हाथ-पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन

अगर हाथ-पैरों में बार-बार सुई चुभने जैसा अहसास हो या होंठों के आसपास झनझनाहट महसूस हो, तो यह नर्व सिग्नलिंग में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। कैल्शियम की कमी से नसें ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं, जिससे यह समस्या होती है।

लगातार थकान और कमजोरी

अच्छी नींद लेने के बाद भी अगर शरीर में थकान बनी रहती है, तो इसे नजरअंदाज न करें। कैल्शियम की कमी से शरीर की एनर्जी प्रोडक्शन प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसका असर एकाग्रता, काम करने की क्षमता और मांसपेशियों की ताकत पर पड़ता है, जिससे सुस्ती और कमजोरी महसूस होती है।

त्वचा, बाल और नाखूनों पर असर

सूखी त्वचा, ज्यादा बाल झड़ना और नाखूनों का बार-बार टूटना सिर्फ ब्यूटी प्रॉब्लम नहीं है। यह मिनरल डेफिशियेंसी का संकेत भी हो सकता है। कैल्शियम त्वचा और बालों की कोशिकाओं के स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी से स्किन बेजान और बाल कमजोर हो जाते हैं।

महिलाओं में क्यों ज्यादा होता है खतरा?

महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, स्तनपान और मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे कैल्शियम की जरूरत बढ़ जाती है। अगर इस दौरान सही डाइट और सप्लीमेंट न लिए जाएं, तो हड्डियों की सेहत तेजी से खराब हो सकती है।

क्या करना चाहिए?

कैल्शियम की कमी से बचने के लिए डाइट में दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, तिल और बादाम शामिल करें। साथ ही विटामिन-डी का भी ध्यान रखें, क्योंकि इसके बिना कैल्शियम शरीर में सही तरीके से अवशोषित नहीं होता। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट लें।

निष्कर्ष

कैल्शियम की कमी के लक्षण हल्के जरूर होते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। समय रहते पहचान और सही देखभाल से हड्डियों और पूरे शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।

डिस्क्लेमर

यह स्टोरी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार की गई है। किसी भी तरह के स्वास्थ्य संबंधी बदलाव या डाइट में परिवर्तन करने से पहले अपने डॉक्टर या योग्य हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

नेस्थिसियोलॉजिस्ट और पेन मेडिसिन फिजिशियन डॉ. कुनाल सूद के मुताबिक, कुछ आदतें जो देखने में सामान्य लगती हैं, वही दिल को नुकसान पहुंचाती हैं। पूरी जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।