ट्यूबरक्लोसिस यानी कि टीबी एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो कि सामान्यतः हमारे फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह एक घातक बीमारी है जिसका सही समय पर सही तरीके से इलाज न किया जाए तो जानलेवा भी हो सकती है। टीबी फेफड़ों के अलावा हमारे दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में दिमाग के ऊतकों में सूजन आ जाती है। इसे मेनिनजाइटिस ट्यूबरक्लोसिस कहा जाता है। मेनिनजाइटिस टीबी को टीबी मेनिनजाइटिस या ब्रेन टीबी भी कहते हैं। यह बच्चों और हर वर्ग के वयस्कों को हो सकती है। भारत में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। टीबी के मरीजों के मामले में भारत की स्थिति पहले भी काफी खराब रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि टीबी के हर 70 मामलों में से बीस मरीज ब्रेन टीबी के होते हैं। आज हम आपको ब्रेन टीबी के लक्षणों और उपचार के बारे में बताने वाले हैं।

रिस्क फैक्टर्स – ज्यादा मात्रा में एल्कोहल का सेवन, एचआईवी एड्स, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता और डायबिटीज मेलिटस ब्रेन टीबी के प्रमुख रिस्क फैक्टर्स हैं।

ब्रेन टीबी के लक्षण – ब्रेन टीबी के लक्षण शरीर में धीरे-धीरे दिखाई पड़ते हैं। दिन-ब-दिन इसके लक्षण और भी सख्त होते जाते हैं। शुरुआत में थकान, कम तीव्रता का बुखार, हमेशा बीमार बने रहना, मिचली, उल्टी, चिड़चिडापन और आलस के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे और अधिक स्पष्ट होते जाते हैं।

सही डाइट से संभव है इलाज – आपकी डाइट ब्रेन टीबी के इलाज में अहम भूमिका निभाती है। डाइट में खास तरह के पोषक तत्व शामिल करने पर आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है जिससे बीमारी से लड़ने में मदद मिलती है। इसके लिए रोगी को अपने डाइट में ताजे फल, सब्जियां और काफी मात्रा में प्रोटीन शामिल करने की जरूरत होती है।

डाइट में इन्हें करें शामिल – ताजे रसदार फल जैसे- अंगूर, सेब, संतरे, तरबूज और अनानास को अपने डाइट में शामिल करें। दूध कैल्शियम का भरपूर भंडार होता है। ऐसे में ब्रेन टीबी से निपटने के लिए यह बेहतरीन लिकल्प हो सकता है। इसके अलावा शुगर और डिब्बाबंद फूड्स से परहेज करने की कोशिश करें। स्ट्रॉन्ग चाय या कॉफी के सेवन से भी परहेज करें।