आज के समय में मधुमेह होना बहुत आम बात है। बदलते खानपान और लाइफस्टाइल में डायबिटीज बहुत तेजी से अपनी पकड़ बना रहा है। वर्तमान समय में मधुमेह न सिर्फ अधिक उम्र के लोगों को हो रहा है बल्कि युवा और बच्चे में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को कमजोर बनाकर अंदर से खोखला कर देती है। ब्लड शुगर बढ़ने के साथ ही शरीर में कई तरह की समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।

भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाता है और इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक साल 2015 में भारत में डायबिटीज के 6 करोड़ 91 लाख मामले पाए गए थे। मधुमेह के कारण स्वास्थ्य में कुछ बदलाव जैसे थकान, त्वचा की समस्याएं और पैरों में सुन्नता के साथ बार-बार पेशाब आना, मुंह सूखना आदि समस्याएं महसूस हों तो ब्लड शुगर का टेस्ट कराना चाहिए।

मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर के स्तर बढ़ने से उनके बॉडी के अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है, अपने स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर कुछ लोग लापरवाही कर जाते हैं, जिससे उनकी यह बीमारी शरीर के अन्‍य अंगों को डैमेज करना शुरू कर देती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…

इन अंगों पर पड़ता है प्रभाव: डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें ब्‍लड में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाये तो इसके कारण 5-10 साल में दूसरे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। शरीर में ब्लड शुगर को इंसुलिन द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा निर्मित होता है। अगर यह अधिक मात्रा में बनने लगता है तो इसका असर शरीर के विभिन्न हिस्सों पर पड़ता है। इसके कारण गुर्दे में, आंखों में, पैर की नसों में कुछ खराबी आ सकती है। साथ ही लकवा होने और पैर में रक्‍त संचार बाधित होने का खतरा अधिक रहता है। इसके कारण अगर कोई आर्टरी ब्‍लॉक होती है तो हार्ट अटैक हो सकता है। इसके अलावा ब्रेन में भी रक्‍त की सप्‍लाई बाधित होने से ब्रेन स्‍ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।

ऐसे रखें अपना ख्याल: डायबिटीज के मरीजों को अपने जीवनशैली में बदलाव करना होगा, जरूरत से अधिक मीठा खाने पर रोक लगानी होगी साथ ही बढ़ते वजन पर लगाम लगानी होगी। इसके अलावा फास्ट फूड से दूरी, नियमित कसरत व्यायाम, कम कैलोरी, विशेष रूप से कम संतृप्त वसा वाला आहार लेकर आप डायबिटीज की चपेट में आने से खुद को बचा सकते हैं। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा फाइबर का भी अधिक मात्रा में सेवन करने से फायदा मिलता है।