मानव शरीर में दो किडनी यानी गुर्दे होते हैं जिनका मुख्य काम यूरिया, क्रिएटिनिन, ऐसिड्स जैसे खराब तत्वों को रक्त से फिल्टर करना यानी निकालना और पेशाब बनाना होता है। किडनी ही हमारे शरीर में पानी का संतुलन बरकरार रखती है और कई ऐसे हॉर्मोन्स का उत्पादन व नियंत्रण करती है जो ब्लड प्रेशर, हड्डियों का स्वास्थ्य और हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक होते हैं।

फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के एडिशनल डायरेक्टर व हेड नेफ्रोलॉजी व किडनी ट्रांसप्लांट विभाग की डॉ. अनुजा पोरवाल ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि, “ऐसे कई सारे चेतावनी संकेत होते हैं जो किडनी की बीमारी की ओर इशारा करते हैं लेकिन अधिकतर मामलों में इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है या फिर कुछ और मान लिया जाता है।” डॉक्टर द्वारा बताए गए कुछ चेतावनी संकेत नीचे दिए गए हैं जो किडनी से जुड़ी बीमारियों को जल्द पहचानने में मदद कर सकते हैं-

किडनी फंक्शन में खराबी होने पर शरीर में दिखते हैं ये 10 संकेत

कमज़ोरी या जल्दी थकना: दुनियाभर में यह किडनी से जुड़ी बीमारियों का लक्षण है। जैसे-जैसे रीनल डिस्फंक्शन यानी किडनी में खराबी बढ़ती है यह लक्षण भी अधिक गंभीर हो जाता है। इसकी मुख्य वजह ब्लड में टॉक्सिन्स व अशुद्धियों का जमा होना है।

भूख कम होना: टॉक्सिन्स के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम हो जाती है। इसके अलावा, किडनी से जुड़ी बीमारी की गंभीरता बढ़ने के साथ ही व्यक्ति का स्वाद भी बदलता है और मरीज़ अक्सर इसे मेटॅलिक बताते हैं जिससे उनकी भूख कम होती चली जाती है।

सुबह उल्टी होना या उबकाई आना: किडनी के खराब होने के शुरुआती संकेतों में से एक है सुबह उठते ही उल्टी होना या उबकाई आना। इससे मरीज़ की भूख भी कम होने लगती है। बीमारी के एंड स्टेज में मरीज़ को दिन में कई बार उल्टी होती है और उसकी भूख पूरी तरह खत्म हो जाती है।

एनीमिया : शरीर में अकारण एनीमिया होना किडनी की बीमारी का सबसे आम लक्षण है। एनीमिया होने की गई वजहें हो सकती हैं जैसे किडनी में बनने वाले एरीथ्रोप्रोटीन का लेवल कम होना, आयरन का लेवल घटना या शरीर में टॉक्सिन्स का जमा होना।

हाई ब्लड प्रेशर: किडनी की बीमारी होने का एक संकेत हाइ ब्लड प्रेशर भी होता है। हाइपरटेंशन से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को अपनी किडनी की गहन जांच करानी चाहिए और हाइपरटेंशन से किडनी प्रभावित नहीं हो रही हो इसकी जांच के लिए किडनी इमेजिंग करानी चाहिए।

बार-बार पेशाब जाना: पेशाब की मात्रा घट सकती है या फिर आपको विशेष तौर पर रात में बार-बार पेशाब करने जाना पड़ सकता है। इसके अलावा पेशाब में झाग आना या पेशाब व ब्लड में प्रोटीन लीक होना, त्वचा का रुखा होना व उसमें खुजली होना, पीठ में या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, एड़ियों, पैरों या टांगों में सूजन दिखना या आंखों के आसपास या नीचे सूजन आना (Periorbital edema) किडनी में समस्या होने के सबसे शुरुआती संकेतों में से एक है।

अपनी किडनी को कैसे स्वस्थ बनाए रखें

डॉक्टर अनुजा ने बताया कि किडनी की बीमारी होने के जोखिम से बचने और किडनी का स्वास्थ्य बेहतर बनाए रखने के कई तरीके हैं। जैसे अपने वार्षिक चेकअप में किडनी फंक्शन और यूरीन यानी पेशाब टेस्ट नियमित आधार पर कराते रहें। अगर आपको डायबिटीज़, हाइपरटेंशन, मोटापा है या फिर आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो किडनी फंक्शन टेस्ट्स्, रीनल इमेजिंग और यूरीन एनालिसिस नियमित आधार पर होना चाहिए। अगर पेशाब में थोड़ी मात्रा में भी प्रोटीन आता है तो सुनिश्चित करें कि आप किसी नेफ्रोलॉजिस्ट से अवश्य मिलें। डायबिटीज़ के मरीज़ों को इसका विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा भी इन चीजों का ध्यान रखें-

  • ढेर सारा पानी पीएं और कम सोडियम/नमक वाला भोजन करें।
  • उचित शारीरिक वज़न बरकरार रखें और दिन में करीब 45 मिनट हल्के व्यायाम कर चुस्त व स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें।
  • नियमित आधार पर ब्लड शुगर लेवल की जांच करें और उन्हें सही स्तर पर बरकरार रखें। क्योंकि डायबिटीज के मरीजों में किडनी को नुकसान पहुंचना बहुत आम बात है और जल्दी पहचान होने पर इसे रोका जा सकता है।
  • नियमित रूप से ब्लड प्रेशर पर नजर रखें और इसे नियंत्रित रखें
  • धूम्रपान छोड़ दें और रात में कम से कम 8 घंटे की अच्छी नींद लेकर अपनी जीवनशैली को संतुलित बनाएं।
  • चेतावनी संकेतों की पहचान करना व उनके बारे में जानकारी रखने और समय पर कदम उठाने से किडनी से जुड़ी बीमारियों या किडनी फेल्यर को जल्द पहचानकर इसका इलाज किया जा सकता है वरना मरीज़ को डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है यहां तक कि मौत भी हो सकती है।